आरबीआई

आरबीआई ने रेपो रेट घटाया,0.25 प्रतिशत की कमी का किया ऐलान,होम लोन से कार लोन तक ब्याज दर होगी कम

नई दिल्ली,7 फरवरी (युआईटीवी)- भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के गवर्नर संजय मल्होत्रा ने शुक्रवार को रेपो रेट में 25 आधार अंकों यानी 0.25 प्रतिशत की कमी करने का ऐलान किया। यह निर्णय भारतीय अर्थव्यवस्था पर महत्वपूर्ण असर डालने वाला है,क्योंकि रेपो रेट में बदलाव का सीधा प्रभाव लोन की ब्याज दरों पर पड़ता है। इस बदलाव के कारण होम लोन,कार लोन और अन्य प्रकार के कर्ज सस्ते होंगे,जिससे उपभोक्ताओं को राहत मिलेगी। खास बात यह है कि पिछले पाँच वर्षों में यह पहली बार है,जब आरबीआई ने रेपो रेट को घटाया है। इससे पहले मई 2020 में रेपो रेट को घटाकर 4 प्रतिशत किया गया था।

यह निर्णय आरबीआई की मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) की बैठक के बाद लिया गया,जो 5 फरवरी से 7 फरवरी तक आयोजित हुई थी। बैठक के परिणामों का ऐलान आरबीआई गवर्नर संजय मल्होत्रा ने किया। उन्होंने कहा कि इस फैसले का प्रभाव देश के सभी नागरिकों पर पड़ेगा और यह न केवल व्यापारियों और अर्थशास्त्रियों, बल्कि आम जनता के लिए भी महत्वपूर्ण है।

मल्होत्रा ने यह भी कहा कि महँगाई दर अभी भी लक्ष्य के अनुरूप बनी हुई है और इसमें और कमी आ सकती है। उन्होंने बताया कि रेपो रेट में 0.25 प्रतिशत की कमी के बाद यह 6.25 प्रतिशत पर आ गई है,जो पहले 6.50 प्रतिशत थी। आरबीआई की ओर से अनुमान जताया गया कि वित्त वर्ष 25 में खुदरा महँगाई दर 4.8 प्रतिशत रहने की संभावना है,जो कि चालू वित्त वर्ष की तीसरी तिमाही में 4.4 प्रतिशत रह सकती है। सामान्य मानसून की वजह से वित्त वर्ष 26 में यह दर 4.2 प्रतिशत रह सकती है।

आरबीआई ने अगले वित्त वर्ष के लिए महँगाई दर का पूर्वानुमान भी जारी किया है। वित्त वर्ष 25 की पहली तिमाही में महँगाई दर 4.5 प्रतिशत,दूसरी तिमाही में 4 प्रतिशत,तीसरी तिमाही में 3.8 प्रतिशत और चौथी तिमाही में 4.2 प्रतिशत रहने की संभावना जताई गई है। इस बीच,आरबीआई ने जीडीपी (सकल घरेलू उत्पाद) वृद्धि दर के आँकड़े भी साझा किए। उन्होंने बताया कि वित्त वर्ष 25 में जीडीपी वृद्धि दर 6.4 प्रतिशत रहने का अनुमान है,जबकि वित्त वर्ष 26 में यह बढ़कर 6.7 प्रतिशत तक पहुँच सकती है।

अगले वित्त वर्ष के लिए आरबीआई ने जीडीपी वृद्धि दर का आकलन इस प्रकार किया है: पहली तिमाही में 6.7 प्रतिशत,दूसरी तिमाही में 7 प्रतिशत,तीसरी तिमाही में 6.5 प्रतिशत और चौथी तिमाही में 6.5 प्रतिशत रहने की संभावना है।

यह कदम भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए सकारात्मक संकेत प्रदान करता है। रेपो रेट में कमी से कर्ज सस्ता होगा,जिससे घर,कार और अन्य प्रकार के लोन लेने वालों को लाभ होगा। इसके अलावा,सस्ती ब्याज दरें उपभोक्ताओं के खर्चों को बढ़ावा दे सकती हैं और घरेलू खपत में इजाफा कर सकती हैं,जो आर्थिक विकास को गति देने में सहायक हो सकता है।

हालँकि, महँगाई को लेकर आरबीआई ने सतर्क रुख अपनाया है और यह सुनिश्चित किया है कि इसके नियंत्रण के लिए उचित कदम उठाए जाएँगे। महँगाई दर का संतुलन बनाए रखना आरबीआई के लिए एक बड़ी चुनौती होगी,लेकिन इस फैसले से उम्मीद जताई जा रही है कि महँगाई में धीरे-धीरे कमी आएगी।

आरबीआई का यह कदम भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए एक बड़ा बदलाव साबित हो सकता है। यह वित्तीय स्थिरता के लिए सकारात्मक संकेत है और आने वाले समय में इसका प्रभाव भारतीय बाजारों,उपभोक्ताओं और व्यापारियों पर साफ तौर पर दिखाई देगा।