वाशिंगटन,25 अप्रैल (युआईटीवी)- जम्मू एवं कश्मीर के पहलगाम क्षेत्र में 22 अप्रैल 2025 को हुए भीषण आतंकी हमले ने न केवल भारत को झकझोर दिया,बल्कि वैश्विक स्तर पर आतंकवाद के प्रति एक बार फिर चिंता को मुखर कर दिया। इस हमले में 26 निर्दोष लोगों की निर्मम हत्या कर दी गई,जिनमें पर्यटक और स्थानीय नागरिक शामिल थे। हमले की जिम्मेदारी भले ही किसी आतंकवादी संगठन ने न ली हो,परन्तु इसके बाद भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव और भी बढ़ गया है।
इस संवेदनशील मुद्दे पर अमेरिकी विदेश विभाग की प्रवक्ता टैमी ब्रूस ने शुक्रवार को एक महत्वपूर्ण प्रेस वार्ता के दौरान अपना रुख स्पष्ट किया। एक पाकिस्तानी पत्रकार द्वारा भारत और पाकिस्तान के बीच सीमा तनाव से संबंधित सवाल पूछे जाने पर ब्रूस ने तीखी प्रतिक्रिया दी और पत्रकार को जवाब देने से इनकार कर दिया। उन्होंने कहा, “हम इस मुद्दे पर कोई टिप्पणी नहीं करेंगे। इस पर राष्ट्रपति और विदेश मंत्री पहले ही स्पष्ट संदेश दे चुके हैं। हमारा रुख पूरी तरह से साफ है।”
प्रवक्ता ने अपने बयान में यह भी कहा कि अमेरिका भारत के साथ खड़ा है और आतंकवाद के हर रूप की कड़ी निंदा करता है। उन्होंने बिना पाकिस्तान का नाम लिए इस बात पर भी जोर दिया कि जो आतंकवादी गतिविधियों में शामिल हैं या उन्हें समर्थन दे रहे हैं,उन पर सख्त कार्रवाई की जानी चाहिए।
टैमी ब्रूस ने कहा, “जैसा कि राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और विदेश मंत्री मार्को रुबियो पहले ही कह चुके हैं,अमेरिका भारत के साथ मजबूती से खड़ा है। हम इस नृशंस आतंकी हमले की कड़ी निंदा करते हैं। हम मृतकों के लिए शोक व्यक्त करते हैं और घायलों के शीघ्र स्वस्थ होने की प्रार्थना करते हैं।” उन्होंने यह भी कहा कि अमेरिका चाहता है कि इस हमले के दोषियों को न्याय के कठघरे में लाया जाए।
ब्रूस की यह प्रतिक्रिया न केवल भारत के प्रति अमेरिकी समर्थन को दर्शाती है,बल्कि पाकिस्तान को परोक्ष रूप से चेतावनी भी है कि आतंकवाद को किसी भी रूप में सहन नहीं किया जाएगा।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने हमले के बाद अपनी पहली सार्वजनिक प्रतिक्रिया में बिहार के मधुबनी जिले में एक जनसभा को संबोधित करते हुए कड़ा संदेश दिया। उन्होंने कहा, “भारत हर उस आतंकवादी और उनके समर्थकों की पहचान करेगा,उनका पीछा करेगा और उन्हें सजा देगा। हम उन्हें दुनिया के आखिरी छोर तक खोज निकालेंगे। आतंकवाद भारत का मनोबल नहीं तोड़ पाएगा।”
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि पहलगाम का यह नरसंहार एक कायरतापूर्ण और जघन्य कृत्य है,जिसका जवाब बेहद कठोर और निर्णायक होगा। उन्होंने यह भी दोहराया कि भारत अब पहले की तरह केवल सहन नहीं करेगा,बल्कि हर आतंकी हरकत का निर्णायक जवाब दिया जाएगा।
इस आतंकी हमले के बाद भारत सरकार ने पाकिस्तान के खिलाफ कूटनीतिक और प्रशासनिक स्तर पर कई कड़े फैसले लिए हैं। इनमें सबसे बड़ा कदम सिंधु जल संधि को अस्थायी रूप से निलंबित करना है। भारत ने 27 अप्रैल से पाकिस्तान के नागरिकों को जारी सभी वीजा रद्द कर दिए हैं और पाकिस्तान में रह रहे भारतीय नागरिकों को जल्द-से-जल्द भारत लौटने की सलाह दी गई है।
इसके अलावा,भारत ने पाकिस्तान के साथ राजनयिक संबंधों को सीमित करने के संकेत भी दिए हैं। सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार,इस हमले के बाद भारत ने अपने उच्चायुक्त को इस्लामाबाद से परामर्श के लिए बुला लिया है और पाकिस्तान के उच्चायुक्त को भी कड़ा विरोध दर्ज कराया गया है।
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को फोन कर हमले में मारे गए लोगों के प्रति अपनी गहरी संवेदना प्रकट की। उन्होंने कहा कि अमेरिका आतंकवाद के खिलाफ भारत की लड़ाई में पूर्ण सहयोग देगा। प्रधानमंत्री मोदी ने राष्ट्रपति ट्रंप को उनके समर्थन के लिए धन्यवाद दिया और कहा कि भारत इस आतंकवादी हमले के दोषियों को सजा दिलाने के लिए प्रतिबद्ध है।
यह आतंकी हमला एक बार फिर इस बात का प्रमाण है कि आतंकवाद न केवल किसी एक देश की समस्या है,बल्कि यह वैश्विक मानवता के लिए खतरा है। अमेरिका का भारत के प्रति स्पष्ट समर्थन और पाकिस्तान को बिना नाम लिए दी गई चेतावनी इस बात को दर्शाती है कि दुनिया अब आतंकवाद के प्रति और अधिक असहिष्णु होती जा रही है।
भारत का दृढ़ रुख,राजनीतिक नेतृत्व की स्पष्टता और अमेरिका जैसे शक्तिशाली सहयोगी देशों का समर्थन यह संकेत देता है कि आने वाले समय में आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई और भी निर्णायक रूप ले सकती है।