नई दिल्ली,3 जनवरी (युआईटीवी)- डिप्रेशन और इंफ्लेमेशन (सूजन) के बीच वैज्ञानिकों ने हाल ही में एक गहरे संबंध का खुलासा किया है,जो डिप्रेशन को समझने के तरीके को पूरी तरह से बदल सकता है। हिब्रू यूनिवर्सिटी ऑफ जेरूसलम के न्यूरोसाइंटिस्ट प्रोफेसर रज यिर्मिया की रिसर्च ने इस संबंध को स्पष्ट रूप से सामने लाया है और यह न केवल प्रयोगशालाओं तक सीमित है,बल्कि मानसिक स्वास्थ्य के क्षेत्र में नए उपचारों और तरीकों को भी जन्म दे सकता है।
प्रोफेसर यिर्मिया की टीम ने यह पाया कि माइक्रोग्लिया कोशिकाएँ और इंटरल्यूकिन-1 (एक प्रकार का प्रोटीन) तनाव के कारण उत्पन्न होने वाले डिप्रेशन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। माइक्रोग्लिया कोशिकाएँ मस्तिष्क में इम्यून सिस्टम के हिस्से के रूप में कार्य करती हैं और जब शरीर पर तनाव का असर पड़ता है,तो ये कोशिकाएँ सक्रिय हो जाती हैं,जिससे इंफ्लेमेशन की प्रक्रिया शुरू हो जाती है। इस खोज ने यह सवाल सामने लाया है कि क्या इंफ्लेमेशन को समझकर डिप्रेशन के इलाज को बेहतर बनाया जा सकता है और क्या विभिन्न प्रकार की इम्यून प्रतिक्रियाएँ डिप्रेशन के विभिन्न रूपों को प्रभावित करती हैं?
प्रोफेसर यिर्मिया ने एक इंटरव्यू में कहा कि अधिकतर डिप्रेशन से पीड़ित मरीजों में इंफ्लेमेशन से जुड़ी कोई स्पष्ट शारीरिक बीमारी नहीं होती,लेकिन उन्होंने और अन्य वैज्ञानिकों ने पाया है कि तनाव,जो डिप्रेशन का प्रमुख कारण है,मस्तिष्क में इंफ्लेमेशन की प्रक्रियाओं को सक्रिय करता है। यह जानकारी डिप्रेशन के इलाज को नए दृष्टिकोण से देखने का आधार बन सकती है।
यिर्मिया की टीम ने उन्नत तकनीकों और व्यावहारिक अध्ययन के माध्यम से संभावित उपचार लक्ष्य पहचाने हैं। उनका शोध माइक्रोग्लियल चेकपॉइंट सिस्टम और तनाव सहनशीलता पर केंद्रित है। यह शोध यह समझने में मदद करता है कि इम्यून सिस्टम मानसिक स्वास्थ्य पर किस प्रकार असर डालता है और कैसे इसे नियंत्रित करके मानसिक स्वास्थ्य में सुधार किया जा सकता है।
प्रोफेसर यिर्मिया का मानना है कि इंफ्लेमेशन की प्रक्रिया को नियंत्रित करने से व्यक्तिगत इलाज की दिशा में महत्वपूर्ण कदम उठाए जा सकते हैं। उन्होंने कहा, “मेरी मुख्य कोशिश यह है कि हम अपने और अन्य वैज्ञानिकों के शोध का उपयोग करके ऐसे नए एंटीडिप्रेसेंट विकसित करें,जो इंफ्लेमेशन प्रक्रियाओं को लक्षित करें।” उनका यह दृष्टिकोण मानसिक स्वास्थ्य के क्षेत्र में नई उम्मीदें और उपचार विकल्प प्रस्तुत करता है,जो पारंपरिक उपचारों से अलग हो सकते हैं।
यिर्मिया के शोध से यह निष्कर्ष निकलता है कि इम्यून सिस्टम को सक्रिय या दबाने से डिप्रेशन के लक्षण उत्पन्न हो सकते हैं। इसलिए,डिप्रेशन के इलाज के लिए एक व्यक्तिगत दृष्टिकोण अपनाने की आवश्यकता है,क्योंकि हर मरीज की शारीरिक स्थिति और मानसिक स्वास्थ्य की स्थिति अलग हो सकती है। इसका मतलब यह है कि डिप्रेशन का इलाज एक आकार में नहीं किया जा सकता और प्रत्येक मरीज के लिए एक विशेष उपचार की आवश्यकता हो सकती है।
यह शोध मानसिक स्वास्थ्य के उपचार के क्षेत्र में एक क्रांतिकारी बदलाव का संकेत है। इस रिसर्च को लेकर वैज्ञानिकों का मानना है कि इंफ्लेमेशन और इम्यून सिस्टम की प्रक्रिया को बेहतर तरीके से समझकर डिप्रेशन के इलाज में महत्वपूर्ण सुधार किया जा सकता है। प्रोफेसर यिर्मिया का काम इस दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है, जो भविष्य में मानसिक स्वास्थ्य की बेहतर देखभाल और उपचार के नए तरीके प्रस्तुत कर सकता है।
इस शोध के बारे में प्रोफेसर यिर्मिया का यह इंटरव्यू एक ऐसी सीरीज का हिस्सा है, जो विज्ञान की नई सोच के पीछे के वैज्ञानिकों को उजागर करती है। इस सीरीज के लेखक यह बताते हैं कि हर इंटरव्यू में वैज्ञानिकों के शोध और उनके निजी विचारों का अद्भुत मिश्रण पेश किया गया है,जो दर्शकों को शोध के पीछे की प्रेरणा और विचारों को समझने का एक नया दृष्टिकोण प्रदान करता है।