सिंधु जल संधि

सिंधु जल संधि की समीक्षा की माँग करते हुए भारत ने पाकिस्तान को भेजा नोटिस

नई दिल्ली,19 सितंबर (युआईटीवी)- सिंधु जल संधि की समीक्षा के लिए भारत ने पाकिस्तान को एक औपचारिक नोटिस भेज एक महत्वपूर्ण कदम उठाया है। 64 साल पुरानी सिंधु जल संधि की समीक्षा के लिए भारत के द्वारा पाकिस्तान को भेजे गए औपचारिक नोटिस में परिस्थितियों में आए “मौलिक और अप्रत्याशित” बदलावों तथा सीमा पार से लगातार जारी आतंकवाद के प्रभाव का हवाला दिया गया है। बुधवार को सरकारी सूत्रों ने बताया कि पाकिस्तान को 30 अगस्त को सिंधु जल संधि (आईडब्ल्यूटी) के अनुच्छेद 12(3) के तहत नोटिस जारी किया गया।

भारत ने जनवरी 2023 में भी ‘सिंधु जल संधि’ में बदलाव की माँग करते हुए पाकिस्तान को नोटिस दिया था,लेकिन उस पर ज्यादा ध्यान नहीं दिया गया। इस बार जो नोटिस जारी किया गया,उसे अधिक गंभीर बताया जा रहा है। क्योंकि इस बार बदलाव के साथ-साथ गंभीर बातचीत के लक्ष्य दिखाई दे रहे हैं। इसके आलावा इसे रद्द किए जाने के इरादे के संकेत भी दिखाई दे रहे हैं।

भारत और पाकिस्तान ने सिंधु जल संधि पर नौ वर्षों के बातचीत के बाद 19 सितम्बर,1960 को हस्ताक्षर किए थे,जिसमें विश्व बैंक भी एक हस्ताक्षरकर्ता था। कई सीमा पार नदियों के जल के उपयोग पर सिंधु जल संधि पर हस्ताक्षर करने वाले हस्ताक्षरकर्ता विश्व बैंक दोनों पक्षों के मध्य सहयोग एवं सूचना के आदान-प्रदान के लिए एक तंत्र के स्थापना करने का कार्य करता है। सूत्रों ने बताया कि परिस्थितियों में आए मौलिक और अप्रत्याशित बदलावों के बारे में भारत की अधिसूचना में विवरण किया गया है,जिसके लिए संधि के विभिन्न अनुच्छेदों के तहत दायित्वों का पुनर्मूल्यांकन आवश्यक है।

उन्होंने कहा कि विभिन्न चिंताओं में से जनसंख्या में परिवर्तन के मुद्दे,पर्यावरणीय मुद्दे महत्वपूर्ण हैं। इसके अलावा स्वच्छ ऊर्जा के विकास में तेजी लाने की आवश्यकता भी महत्वपूर्ण हैं,जिससे भारत के उत्सर्जन लक्ष्यों को पूरा किया जा सकेगा। सिंधु जल संधि के समीक्षा की माँग के पीछे के वजह के बारे भारत का कहना है कि सीमा पार से लगातार जारी आतंकवाद के कारण भी यह माँग की जा रही है। सिंधु जल संधि में संशोधन के लिए भारत ने डेढ़ साल में पाकिस्तान को यह दूसरी बार नोटिस जारी किया है। एक सूत्र ने कहा कि किशनगंगा और रतले जलविद्युत परियोजनाओं के संबंध में यह अधिसूचना जारी की गई थी।

सिंधु जल संधि के तहत पश्चिमी नदियों का 80% पानी का इस्तेमाल करने का अधिकार पाकिस्तान को है,जबकि भारत को 20% पानी के इस्तेमाल करने का अधिकार है। भारत के पास इस संधि के तहत पश्चिमी नदियों के पानी का सीमित इस्तेमाल करने का अधिकार है। भारत दो जलविद्युत परियोजनाओं ‘किशनगंगा परियोजना’ और ‘रातले परियोजना’ का निर्माण कर रहा है। ‘किशनगंगा परियोजना’ झेलम की सहायक किशनगंगा नदी पर और ‘रातले परियोजना’ चिनाब नदी पर और इन दोनों परियोजनाओं के निर्माण पर पाकिस्तान ने आपत्ति जताई है।