प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सोमवार, 09 जनवरी, 2023 को इंदौर में 17वें प्रवासी भारतीय दिवस सम्मेलन 2023 के दौरान सूरीनाम के राष्ट्रपति चान संकोठी से मुलाकात की

भारत को विश्व के शिखर पर पहुँचाने में प्रवासी भारतीयों की भूमिका

एमिटी यूनिवर्सिटी, नोएडा में असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ. नेहा सिन्हा की राय

पृष्ठभूमि 

वैश्वीकरण और आर्थिक उदारीकरण की बढ़ती गति के साथ ही पूरे विश्व में तेजी से बदलाव आ रहा है,  जिसके कारण बड़े पैमाने पर बदलाव और समाजिक परिवर्तन हुआ है। ज्ञान और कौशल के हस्तान्तरण के साथसाथ मुद्रा-निवेश और देश में भेजे जाने वाले धन (प्रेषण) का प्रवाह  बढ़ रहा है। इस प्रक्रिया में प्रवासी भारतीय एक ऐसे समूह के रूप में उभरे हैं जो केवल भावनात्मक और सांस्कृतिक रूप से भारत से जुड़ा हुआ है बल्कि देश के आर्थिक विकास में भी महत्वपूर्ण योगदान दे रहा है।

लगभग इकतीस मिलियन के अनुमानित प्रवासियों (जिनमें से भारतीय मूल के 17 मिलियन, एन आर आई 13 मिलियन, जो दुनिया के 146 देशों में फैले हुए हैं) के साथ भारत, आज दुनिया में दूसरा सबसे बड़ा डायस्पोरा है। डायस्पोरा पूरी दुनिया में फैला हुआ है, जिनकी पैतृक जड़ें व्यापारियों, गिरमिटिया मजदूरों, राजनीतिक निर्वासितों, व्यापार उद्यमियों, आदि में देखी जा सकती हैं। (भारत में, डायस्पोरा को आमतौर पर गैर-निवासी भारतीयों (एनआरआई), भारतीय मूल के व्यक्तियों (पीआईओ) और भारत के विदेशी नागरिकों (ओसीआई) को शामिल करने के लिए समझा जाता है, जिनमें से पीआईओ और ओसीआई कार्ड धारकों को वर्ष 2015 में एक श्रेणी – ओसीआई – में विलय कर दिया गया था।)

अपने घरों से दूर हमारे गिरमिटिया भाईबहनों ने एक लम्बे समय तक अनेकों प्रकार की शारीरिक और मानसिक यातनाओं को झेला है। उन्होंने जहाजों में कठिन, दर्दनाक और लंबी यात्राएं कीं, लेकिन इन सभी कष्टों और चुनौतियों के बावजूद, राष्ट्र निर्माण में इन प्रवासियों का देश के विकास में योगदान उल्लेखनीय है।

भारतीय प्रवासियों ने पूरे विश्व में भारत की अच्छी छवि बनाने में मदद की है और नाटकीय रूप से भारतीयों और भारत के बारे में दुनिया की धारणा को बदला है। उन्होंने ऐसे भारत देश की प्रशंसा की एक नई लहर जगाई है जहां से अनेकों उपलब्धि हासिल करने लोग पैदा हुए हैं और विदेशों में अपना सिक्का जमाया है। प्रवासी भारतीय दिवस समुदाय ने सफलता के जो मानक निर्धारित किए हैं, वे भारत में हमारे लिए प्रेरणा श्रौत हैं। 

भारतीय प्रवासी राजनीतिक, सामाजिक, आर्थिक और सांस्कृतिक स्तरों पर भारत के विकास में बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। प्रवासी भारतीय ना केवल परखे हुए पेशों से संतुष्ट नहीं हैं; उनमें से कई ने राजनीतिक, सरकारी और कूटनीति के क्षेत्र में नयी पहचान बनायी है। मॉरीशस, फिजी, त्रिनिदाद और टोबैगो और पुर्तगाल जैसे कई देशों में, भारतीय मूल के लोग सरकार के प्रमुख बन गए हैं। भारतीय प्रवासियों ने वसुधैव कुटुम्बकम की परंपरा को जीवित रखा हैं। इसके अलावा, प्रवासी भारतीयों ने मेजबान देश और अपने देश के बीच एक कड़ी के रूप में कार्य करते हैं साथ ही सभी स्तरों पर दोनों देशों के बीच सौहार्दपूर्ण संबंध बनाए रखने के लिए जिम्मेदार है। 

विदेशी भूमि पर भारत की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत को बखूबी बनाये हुए है और हम उन्हें कई देशों में सफलतापूर्वक ऐसा करते हुए देखते भी हैं। इसके अलावा, प्रवासी भारतीयों द्वारा देश में भेजा गया धन हमारे देश के आर्थिक विकास में उनका उल्लेखनीय योगदान है। 

साथ ही, सामाजिक स्तर पर योगदान देने के लिए, दुनिया भर में भारतीय प्रवासियों ने विदेशों में विभिन्न मंचों, संगठनों और संस्थानों की शुरुआत की है जो कि समृद्ध भारतीय संस्कृति तथा भारतीयों के हितों की रक्षा करते हैं।

Prime Minister Narendra Modi meets Suriname President Chan Sankothi during the 17th Pravasi Bharatiya Divas Convention 2023, in Indore on Monday, Jan. 09, 2023
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सोमवार, 09 जनवरी, 2023 को इंदौर में 17वें प्रवासी भारतीय दिवस सम्मेलन 2023 के दौरान सूरीनाम के राष्ट्रपति चान संकोठी से मुलाकात की

भारतीय प्रवासी, भारत के लिए जो अवसर लाते हैं, वे इस प्रकार हैं-

ग्लोबल माइग्रेशन रिपोर्ट 2020 के अनुसार, भारत दुनिया भर में 17.5 मिलियन-मजबूत डायस्पोरा के साथ, अंतरराष्ट्रीय प्रवासियों की उत्पत्ति का सबसे बड़ा देश है, और इससे विदेशों में रहने वाले भारतीयों से, भारत को लगभग 6.5 लाख करोड़ रुपये का उच्चतम प्रेषण प्राप्त हुआ जो कि भारत के सकल घरेलू उत्पाद का 3.4% है ।  अमेरिका इसका सबसे बड़ा स्रोत रहा, जहां से वर्ष 2021 में भारत को कुल प्रेषण, 87 बिलियन डॉलर, का 20% से अधिक का योगदान प्राप्त हुआ। वास्तव में, विश्व में  प्रेषण के रूप में भेजे जाने वाले कुल धन का 13% भाग भारतीयों द्वारा भेजा जाता है। 

इसके अलावा, भारतीय प्रवासियों ने न केवल भारत को उपनिवेशवाद से मुक्त करने में ऐतिहासिक भूमिका निभाई, बल्कि वे अपनी विशाल सफलता की कहानियों के माध्यम से भारत देश के मूल्यों  को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर बनाये रखने में मददगार रहे । भारतीय प्रवासी, भारत की “सॉफ्ट डिप्लोमेसी” या “डायस्पोरा डिप्लोमेसी” का एक महत्वपूर्ण हिस्सा हैं । प्रवासी भारतीयों की भारतीय सॉफ्ट पावर फैलाने, भारत के राष्ट्रीय हितों की पैरवी करने तथा भारत के उत्थान में आर्थिक रूप से योगदान करने की क्षमता, को अच्छी पहचान मिल चुकी है।

स्वतंत्रता संग्राम: दक्षिण अफ्रीका में भारतीयों के खिलाफ प्रणालीगत पूर्वाग्रह को समाप्त करने के लिए, महात्मा गांधी के संघर्ष ने, समकालीन भारत में, प्रवासी भारतीयों के बारे में किंवदंतियों को प्रेरित किया। जैसे-जैसे स्वतंत्रता की लड़ाई ने देश के अंदर जोर पकड़ा, विदेशों में कई भारतीय समुदायों पर इसका प्रभाव पड़ने लगा।

डायस्पोरा, निवेश को सुविधाजनक बनाने और बढ़ाने में, औद्योगिक विकास में तेजी लाने और अंतर्राष्ट्रीय व्यापार और पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए ‘परिवर्तन के एजेंट’ के रूप में कार्य करता है।

एक सक्रिय डायस्पोरा के साथ, संबंधों के पोषण में एक और, ठोस दीर्घकालिक लाभ, ‘एक त्वरित तकनीकी क्षेत्र’ है। भारतीय समुदाय ने, विज्ञान और प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।

एक बड़े उत्प्रवासी समूह के होने का एक और महत्वपूर्ण लाभ “डायस्पोरा डिप्लोमेसी” है, और वे अपने देश और गोद लिए गए देशों के बीच “सेतु-निर्माताओं” के रूप में कार्य करते हैं। ‘भारत-अमेरिका असैनिक परमाणु समझौता’ इसका एक उदाहरण है, क्योंकि संयुक्त राज्य अमेरिका में जातीय भारतीयों ने “एन-डील के समापन” के लिए सफलतापूर्वक पैरवी की थी।

वे भारत और विश्व के अन्य देशों के बीच ज्ञान, विशेषज्ञता, संसाधनों और बाजारों तक पहुंचने के लिए एक महत्वपूर्ण कड़ी के रूप में कार्य करते हैं। साथ ही, वे भारत में व्यापार और निवेश का एक महत्वपूर्ण स्रोत हैं। उन्होंने अपने निवास के देश की उन्नति और विकास में भी योगदान दिया है,  उदाहरण के लिए, सिलिकॉन वैली भारतीयों की सफलता का प्रतिनिधित्व करती है। 

प्रेषण के बड़े प्रवाह का स्रोत, जो चालू खाते को संतुलित करने में मदद करता रहा है, यह आगे सामाजिक-आर्थिक विकास को बढ़ाने और गरीबी कम करने में भी सहायक सिद्ध होता है। विश्व बैंक के अनुसार, भारतीय डायस्पोरा वर्तमान में दुनिया में प्रेषण का सबसे बड़ा अर्जक है।

अनुभव एवं अनुभूतियों का विस्तारवे भारतीय संस्कृति एवं परंपराओं जैसे कि योग, आयुर्वेद, भारतीय व्यंजन इत्यादि का देश के लाभ के लिए विस्तार करते हैं।

एनआरआई, शिक्षण संस्थानों या व्यवसायों को भी वित्तीय सहायता प्रदान करते हैं, जो कि अर्थव्यवस्था के क्षेत्रों को सुदृढ़ करने में सहायक होता है। रिपोर्टों से पता चलता है कि ये एनआरआई प्रत्यक्ष विदेशी निवेश, बाजारों के विकास (आउटसोर्सिंग) और प्रौद्योगिकी हस्तांतरण का एक प्रमुख स्रोत हैं, जो हर दिन राजकोषीय प्रणाली की संपत्ति को बढ़ावा देते हैं। यह संस्कृति, शिक्षा, आर्थिक विकास और स्वास्थ्य और कला के क्षेत्र में अधिक है। भारतीय, सूचना प्रौद्योगिकी जैसे क्षेत्रों में अग्रणी हैं और इसमें बड़े पैमाने पर योगदान करते हैं। इन सबसे ऊपर, भारतीय मूल के व्यक्ति भारत के आर्थिक विकास को प्रोत्साहित करने के लिए, भारतीय उद्योग और बुनियादी ढांचे में निवेश करके भारत की मदद कर सकते हैं। भले ही एनआरआई  का योगदान प्रत्यक्ष रूप से दिखाई नहीं दे रहा है, लेकिन वे भारत में विभिन्न गतिविधियों के माध्यम से अपने देश की मदद कर रहे हैं।

कई रिपोर्टों से पता चलता है कि एनआरआई, भारत में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश, बाजार विकास (आउटसोर्सिंग), प्रौद्योगिकी हस्तांतरण, चैरिटी, पर्यटन, राजनीतिक योगदान और ज्ञान के पर्याप्त प्रवाह के प्रमुख स्रोत हैं। एनआरआई, भारत में कई गैर-सरकारी संगठनों के साथ विकास से जुड़ी  शैक्षिक और सामाजिक परियोजनाओं में मदद करने के लिए आगे आए हैं।

यह देखा गया है कि बड़ी संख्या में एनआरआई, भारत में कई कल्याणकारी कार्यक्रमों में सक्रिय रूप से भाग ले रहे हैं। उन्होंने शिक्षा, स्वास्थ्य और विकास संबंधी गतिविधियों, जैसे जल-प्रबंधन, ग्रामीण- विकास और स्वसहायता कार्यक्रम आदि को प्रोत्साहित करने के लिए, कई गैर-सरकारी संगठनों को पंजीकृत किया है। वे भारत में सामाजिक और पर्यावरणीय समस्याओं से निपटने में भी सहायता कर रहे हैं। भारतीय डायस्पोरा भी भारत की विदेश नीति, आर्थिक विकास और ज्ञान हस्तांतरण में एक महत्वपूर्ण कारक के रूप में उभरा है।

भारतीय डायस्पोरा ने भारत के सांस्कृतिक एवं साहित्यिक पहलू को मजबूत करने में बहुत बड़ा योगदान दिया है। भारत के विकास में, इन प्रवासी भारतीयों के योगदान को मान्यता देने और युवा प्रवासियों को उनकी पैतृक जड़ों से जोड़ने के लिए, भारत सरकार द्वारा कई प्रमुख कार्यक्रम शुरू किए गए हैं। उनमें से सबसे प्रमुख हैंभारत को जानें कार्यक्रम’, ‘भारत को जानें प्रश्नोत्तरी’ और प्रवासी बच्चों के लिए छात्रवृत्ति कार्यक्रम। विरुद्ध परिस्थितियों के समय, भारत सरकार नेराहत’ औरसंकट मोचन’ कार्यक्रमों के तहत लगभग 45 देशों के विदेशी नागरिकों सहित 90,000 से अधिक प्रवासी भारतीयों को युद्धग्रस्त देशों से सफलतापूर्वक निकाला। इन कार्यक्रमों ने प्रवासी भारतीय समुदाय को आश्वस्त किया कि वे जहां कहीं भी हों, यदि उन्हें कोई समस्या आती है, तो भारत सरकार उनकी मदद के लिए सदैव अग्रणी है। भारत सरकार द्वारा शुरू किए गए कई अन्य प्रमुख कार्यक्रम हैं, जहां प्रवासी भारतीय सक्रिय रूप से भाग ले सकते हैं और भारत की विकास गाथा का एक अभिन्न अंग बन सकते हैं। जिस तरह से  प्रवासी, व्यवसाय और निवेश में योगदान दे रहे  है, अन्य लोग भी भारत में स्वयं सेवा करने, वंचितों की मदद करने या विभिन्न क्षेत्रों में क्षमता निर्माण कार्यक्रमों में योगदान देने के लिए अपना बहुमूल्य समय और प्रयास करने के लिए प्रेरित हो रहे हैं। भारत में योगदान देने और इसकी रोमांचक विकास गाथा का हिस्सा बनने के लिए कई और भी  विविध अवसर हैं। चाहे वहमेक इन इंडिया“, “स्टार्टअप इंडिया“, “डिजिटल इंडियायास्वच्छ भारतहो; ये सभी कार्यक्रम उन्हें भाग लेने और नए भारत के निर्माण में मदद करने के पर्याप्त अवसर प्रदान करते हैं।

निष्कर्ष

प्रवासी, अपने देश के गौरव प्रतीक हैं और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अपने देश का प्रतिनिधित्व करते हैं। प्रवासी भारतीयों की भारतीय सॉफ्ट पावर फैलाने, भारत के राष्ट्रीय हितों की पैरवी करने और अपने देश भारत के उत्थान में आर्थिक योगदान करने की क्षमता, अब अच्छी तरह से पहचानी जा चुकी है।

आज, विदेशी भूमि का कोई हिस्सा नहीं है जहां भारतीयों का निवास नहीं है और हमारी बहुस्तरीयसंस्कृति के निशान और प्रभाव से ना चमकता हो । हमें अपने समृद्ध प्रवासियों पर गर्व है, जो कई देशों और महाद्वीपों में फैले हुए हैं, जो अपनी विशिष्ट पहचान को आत्मसात करने और अपनी सहज क्षमता को प्रदर्शित करने के लिए खड़े हैं। यह वह समय है, जब हम सभी को दुनिया के विभिन्न हिस्सों में रहने वाले भारतीय प्रवासियों की प्रशंसा और उनके द्वारा अपने अपने क्षेत्रों में किए गए श्रेष्ठतम कार्यों के लिए सराहना करनी चाहिए यह समय है, जब हम सभी को अपने प्रवासी भारतीयों की क्षमता को रचनात्मक तरीके से स्वीकार कर आगे बढ़ना चाहिए जिनके कारण भारत का नाम, प्रसिद्धि और विकास, विश्व में अन्य देशों की तुलना में सर्वोच्च हो जाता है

लेखक: डॉ. नेहा सिन्हा, एमिटी विश्वविद्यालय, नोएडा में सहायक प्राध्यापक

Dr Neha Sinha
एमिटी यूनिवर्सिटी, नोएडा में असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ. नेहा सिन्हा

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *