मोहम्मद शमी

शास्त्री और पोंटिंग ने शमी की फिटनेस और चयन पर बीसीसीआई पर उठाए सवाल

नई दिल्ली,7 जनवरी (युआईटीवी)- भारत के पूर्व मुख्य कोच रवि शास्त्री ने मोहम्मद शमी की चोट प्रबंधन और 2023 की बॉर्डर-गावस्कर ट्रॉफी के लिए बीसीसीआई द्वारा उन्हें टीम से बाहर रखने के फैसले पर सवाल उठाए हैं। शास्त्री का मानना है कि शमी को ऑस्ट्रेलिया भेजा जा सकता था,जहाँ उनकी चोट की स्थिति का आंकलन किया जा सकता था और उनकी टीम में वापसी संभव हो सकती थी। यह तब हुआ,जब 2023 की बॉर्डर-गावस्कर ट्रॉफी में ऑस्ट्रेलिया से भारत 3-1 से हार गया। इस सीरीज में शमी का अभाव एक महत्वपूर्ण विषय बन गया।

2023 विश्व कप फाइनल के बाद शमी ने अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट से ब्रेक लिया था,क्योंकि वह टखने की चोट से जूझ रहे थे। हालाँकि,शमी ने घरेलू लाल गेंद क्रिकेट में हिस्सा लिया,जिससे उनके ऑस्ट्रेलिया टेस्ट सीरीज में वापसी की उम्मीदें जगी थीं। शास्त्री और अन्य क्रिकेट पंडितों का मानना है कि शमी की ऑस्ट्रेलिया यात्रा और सीरीज के दौरान उनकी भागीदारी पर फैसला जल्द किया जा सकता था,लेकिन मेलबर्न में चौथे टेस्ट से पहले बीसीसीआई की मेडिकल टीम ने शमी को आधिकारिक रूप से बाहर कर दिया,क्योंकि उनकी घुटने में सूजन थी।

शास्त्री ने आईसीसी रिव्यू में इस बारे में बात करते हुए कहा कि शमी को ऑस्ट्रेलिया ले जाया जा सकता था और फिर वहाँ उनकी स्थिति का आंकलन किया जा सकता था। शास्त्री ने कहा कि, “बिल्कुल,इसमें कोई संदेह नहीं है कि वह ऑस्ट्रेलिया में टीम का हिस्सा बन सकते थे। मैं इस बात से हैरान हूँ कि शमी की स्थिति पर इतनी अधिक चर्चा क्यों नहीं हो रही है। वह एनसीए में बैठा हुआ है,लेकिन हमें यह क्यों नहीं पता कि उसकी रिकवरी कहाँ तक पहुँची है?” शास्त्री का मानना है कि शमी को टीम का हिस्सा बनाए रखना चाहिए था और यह सुनिश्चित करना चाहिए था कि उसका रिहैब टीम के साथ हो। यदि तीसरे टेस्ट तक यह स्पष्ट हो जाता कि वह सीरीज के बाकी मैच नहीं खेल सकते,तब उसे वापस भेज दिया जा सकता था।

शास्त्री का विचार है कि शमी जैसे खिलाड़ी को अपनी क्षमता के कारण किसी भी टीम में रखा जाना चाहिए और उसकी फिटनेस को आकलित करने के लिए पूरी कोशिश की जानी चाहिए। शास्त्री ने कहा कि, “मैं शमी को टीम में बनाए रखता और सुनिश्चित करता कि उसका रिहैब टीम के साथ हो,ताकि हम देख सकें कि वह कैसे प्रदर्शन कर रहा है। यदि वह फिट नहीं होता,तो हम उसे वापस भेज सकते थे।”

ऑस्ट्रेलिया के पूर्व कप्तान रिकी पोंटिंग ने भी शास्त्री के विचारों का समर्थन करते हुए कहा कि उन्हें हैरानी हुई,जब शमी को सीरीज के बीच में भी टीम में नहीं बुलाया गया। पोंटिंग ने कहा कि, “दो टेस्ट मैच हो चुके थे और भारत की टीम में नीतीश रेड्डी जैसे विकल्प मौजूद थे। इसलिए,यदि शमी पूरी तरह से फिट नहीं भी था,तो भी वह एक दिन में कुछ ओवर गेंदबाजी कर सकता था। उसके पास एक बैकअप सीम गेंदबाजी विकल्प के रूप में टीम में मौजूद रहने की क्षमता थी।” पोंटिंग का मानना है कि शमी का अनुभव और उसकी क्षमता सीरीज के परिणाम पर महत्वपूर्ण असर डाल सकती थी।

पोंटिंग ने आगे कहा कि, “जब मैंने पहले कहा था कि मैं 3-1 ऑस्ट्रेलिया के पक्ष में परिणाम देखता हूँ,तो उसका कारण यह था कि शमी भारत की टीम का हिस्सा नहीं था। मुझे यह लगता था कि शमी भारत के लिए बहुत महत्वपूर्ण हैं। यदि शमी,बुमराह और सिराज भारत के शुरुआती प्लेइंग इलेवन में होते,तो मुझे लगता है कि चीजें पूरी तरह से अलग हो सकती थीं।”

शास्त्री और पोंटिंग दोनों का यह कहना था कि शमी की वापसी को लेकर फैसला जल्द किया जा सकता था और अगर वह टीम का हिस्सा होते,तो भारत की गेंदबाजी आक्रमण में मजबूती आ सकती थी। शमी जैसे अनुभवी खिलाड़ी की कमी भारत के लिए एक बड़ा झटका साबित हुई,क्योंकि ऑस्ट्रेलिया में उनका अनुभव भारत के लिए महत्वपूर्ण हो सकता था। शास्त्री और पोंटिंग दोनों मानते हैं कि इस फैसले से भारत को सीरीज में अधिक चुनौती मिल सकती थी और परिणाम अलग हो सकते थे।

यह पूरी बहस इस बात को लेकर है कि चोट की रिकवरी और खिलाड़ी के फिटनेस स्तर का आकलन करके उसे टीम में रखा जाए,ताकि किसी भी महत्वपूर्ण श्रृंखला के दौरान उसकी उपस्थिति टीम को मजबूती दे सके। शमी जैसे अनुभवी तेज गेंदबाज को नजरअंदाज करना भारत के लिए एक गंभीर मुद्दा था और शास्त्री और पोंटिंग की राय इस पर बल देती है कि ऐसे फैसले टीम की जीत के अवसरों को प्रभावित कर सकते हैं।