नई दिल्ली,17 दिसंबर (युआईटीवी)- प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सोमवार को श्रीलंकाई राष्ट्रपति अनुरा कुमार दिसानायके के साथ महत्वपूर्ण वार्ता की,जिसमें दोनों देशों के बीच विभिन्न क्षेत्रों में सहयोग बढ़ाने पर चर्चा की गई। इस दौरान,श्रीलंकाई राष्ट्रपति ने भारत का आभार व्यक्त करते हुए कहा कि विशेष रूप से श्रीलंका के अभूतपूर्व आर्थिक संकट के समय भारत ने अत्यधिक समर्थन प्रदान किया। उन्होंने यह भी आश्वासन दिया कि श्रीलंकाई भूमि का उपयोग भारत के खिलाफ नहीं किया जाएगा।
श्रीलंकाई राष्ट्रपति दिसानायके ने बातचीत के बाद कहा, “प्रधानमंत्री मोदी को मैंने यह स्पष्ट आश्वासन दिया है कि हम अपनी जमीन को किसी भी तरह से भारत के हितों के खिलाफ इस्तेमाल नहीं होने देंगे। भारत के साथ हमारा सहयोग निश्चित रूप से बढ़ेगा और मैं भारत के लिए अपने निरंतर समर्थन का आश्वासन देना चाहता हूँ।”
राष्ट्रपति दिसानायके,जो पदभार ग्रहण करने के बाद अपनी पहली आधिकारिक विदेश यात्रा पर रविवार शाम को भारत पहुँचे।उन्होंने भारत में मिले समर्थन और गर्मजोशी भरे आतिथ्य के लिए राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू और प्रधानमंत्री मोदी का आभार व्यक्त किया। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि उनकी यात्रा ने दोनों देशों के मध्य के सहयोग और विकास की नई संभावनाओं का मार्ग प्रशस्त किया है।
प्रधानमंत्री मोदी ने भी इस मौके पर कहा कि दोनों देशों के सुरक्षा हित आपस में जुड़े हुए हैं और इसलिए हमें अपनी सुरक्षा और रक्षा सहयोग को और मजबूत बनाने की दिशा में काम करना चाहिए। उन्होंने इस बात की पुष्टि की कि दोनों देशों के मध्य रक्षा सहयोग समझौते को जल्द ही अंतिम रूप दिया जाएगा,जिससे दोनों देशों के बीच सामरिक रिश्ते और भी मजबूत होंगे।
प्रधानमंत्री मोदी ने संयुक्त प्रेस कॉन्फ्रेंस में श्रीलंकाई विकास में भारत के समर्थन पर भी विस्तार से बात करते हुए कहा कि, “भारत ने श्रीलंका को अब तक 5 बिलियन डॉलर की ऋण सहायता और अनुदान सहायता प्रदान की है। श्रीलंका के सभी 25 जिलों में हमारी परियोजनाएँ चल रही हैं और ये परियोजनाएँ हमेशा साझेदार देशों की विकास प्राथमिकताओं के आधार पर निर्धारित की जाती हैं।”
प्रधानमंत्री मोदी ने यह भी घोषणा की कि जाफना और पूर्वी प्रांत के विश्वविद्यालयों में 200 छात्रों को अगले वर्ष से मासिक छात्रवृत्ति दी जाएगी,जो दोनों देशों के बीच शिक्षा के क्षेत्र में सहयोग को बढ़ावा देगा। इसके अलावा,उन्होंने यह बताया कि अगले पाँच वर्षों में श्रीलंका के 1500 सिविल सेवकों को भारत में प्रशिक्षण दिया जाएगा,जिससे श्रीलंकाई प्रशासनिक क्षमता को बेहतर बनाने में मदद मिलेगी।
इस दौरान,दोनों नेताओं ने व्यापार,शिक्षा,स्वास्थ्य और इंफ्रास्ट्रक्चर विकास के क्षेत्रों में भी सहयोग बढ़ाने की आवश्यकता पर जोर दिया। प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि भारत और श्रीलंका के बीच संबंध केवल भौतिक मदद और वित्तीय सहायता तक सीमित नहीं हैं,बल्कि यह दोनों देशों के लोगों के बीच एक गहरे और मजबूत रिश्ते की प्रतीक हैं।
राष्ट्रपति दिसानायके ने इस बात को भी रेखांकित किया कि उनकी यात्रा ने न केवल द्विपक्षीय संबंधों को और मजबूत किया है,बल्कि इससे दोनों देशों के बीच विश्वास और सहयोग की नई ऊँचाइयों की ओर कदम बढ़ाया है। श्रीलंका के राष्ट्रपति ने यह भी कहा कि वे भारत के साथ अपने आर्थिक और विकासात्मक रिश्तों को अगले स्तर तक ले जाने के लिए पूरी तरह से प्रतिबद्ध हैं।
इस यात्रा और बातचीत के बाद यह स्पष्ट हो गया है कि भारत और श्रीलंका के बीच सहयोग का दायरा अब केवल आर्थिक और सुरक्षा के मामलों तक सीमित नहीं रहेगा,बल्कि यह दोनों देशों के सामाजिक और सांस्कृतिक रिश्तों को भी सुदृढ़ करने का काम करेगा। प्रधानमंत्री मोदी और राष्ट्रपति दिसानायके की यह बैठक दोनों देशों के भविष्य के लिए सकारात्मक और आशावादी संकेत है,जो दोनों देशों के रिश्तों को और गहरा करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।