सुनीता विलियम्स (तस्वीर क्रेडिट@omkarchaudhary)

सुनीता विलियम्स की अंतरिक्ष से पृथ्वी पर सुरक्षित वापसी पर झुलासन गाँव में खुशी का माहौल

मेहसाणा,19 मार्च (युआईटीवी)- अंतरिक्ष यात्री सुनीता विलियम्स की अंतरिक्ष से पृथ्वी पर सुरक्षित वापसी को लेकर गुजरात के मेहसाणा जिले के झुलासन गाँव में खुशी का माहौल है। इस गाँव के लोग सुनीता की सुरक्षित वापसी के लिए भगवान से प्रार्थना कर रहे हैं और उन्हें घर वापसी की शुभकामनाएँ दे रहे हैं। ग्रामीणों को पूरी उम्मीद है कि सुनीता विलियम्स गाँव में जरूर आएँगी और उनकी वापसी का स्वागत एक बड़े उत्सव की तरह किया जाएगा। इस खुशी के मौके पर गाँव में स्वागत की तैयारियाँ जोरों पर हैं और लोग बेसब्री से उनका इंतजार कर रहे हैं।

सुनीता विलियम्स इस गाँव में तीन बार पहले भी आ चुकी हैं। पहली बार वह 2006 में आई थीं और फिर 2012 में भी गाँव दौरा किया था। ग्रामीणों के अनुसार,उनका स्वागत बहुत भव्य तरीके से किया जाएगा। लोगों का मानना है कि सुनीता का गाँव में आना एक बड़ी बात है और सभी उनकी वापसी पर बेहद खुश हैं। गाँव के लोग यह उम्मीद कर रहे हैं कि जैसे ही सुनीता वापस धरती पर लौटेंगी,वह अपने पुराने घर और गाँव जरूर आकर सभी को धन्यवाद देंगी और उनका स्वागत करेंगी।

सुनीता विलियम्स के परिवार के लोग भी उनकी वापसी से बेहद खुश हैं। उनके बड़े भाई दीपक रावल ने बताया कि सुनीता की वापसी की खबर सुनकर परिवार में खुशी का माहौल है। उन्होंने सुनीता के बचपन के दिनों को याद करते हुए बताया कि बचपन से ही वह निडर और साहसी थीं। उन्होंने एक किस्सा साझा किया,जिसमें वह बताते हैं कि जब सुनीता को बचपन में ऊँट पर बिठाया गया था,तो वह ऊँट पर इतना समय बैठी रहीं कि उन्हें उतारने में काफी मुश्किल आई थी। इस घटना से यह साबित होता है कि सुनीता विलियम्स हमेशा से ही साहसिक और दिलेरी की प्रतीक रही हैं।

सुनीता विलियम्स की वापसी खास इसलिए भी है क्योंकि वह अंतर्राष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (आईएसएस) पर असामान्य रूप से लंबे समय तक रही हैं। वह 2006 में पहली बार अंतरिक्ष यात्रा पर गई थीं और तब से लेकर अब तक उन्होंने अंतरिक्ष में काफी समय बिताया है। इस दौरान उन्होंने बहुत से महत्वपूर्ण कार्य किए और अंतरिक्ष विज्ञान में कई नए योगदान दिए। सुनीता विलियम्स अब 60 वर्ष की हो चुकी हैं और उनका अंतरिक्ष में बिताया गया समय ऐतिहासिक रहा है।

सुनीता विलियम्स भारतीय मूल की अमेरिकी नागरिक हैं और उनकी माँ स्लोवेनिया की हैं। उनके पिता,दीपक पांड्या गुजरात के निवासी हैं। उनकी सफलता का एक महत्वपूर्ण पहलू यह भी है कि वह भारतीय मूल की दूसरी महिला अंतरिक्ष यात्री हैं। उनसे पहले कल्पना चावला ने यह उपलब्धि हासिल की थी,लेकिन 2003 में कोलंबिया स्पेस शटल दुर्घटना में उनकी दुखद मृत्यु हो गई। सुनीता विलियम्स ने अपनी यात्रा के दौरान कई रिकॉर्ड तोड़े और अंतरिक्ष यात्रा के क्षेत्र में अपनी पहचान बनाई।

सुनीता की अंतरिक्ष यात्रा भारतीयों के लिए एक प्रेरणा स्रोत रही है और उनके द्वारा हासिल की गई सफलता ने भारतीयों का गर्व बढ़ाया है। सुनीता की पहली अंतरिक्ष यात्रा 2006 में “डिस्कवरी” स्पेस शटल के जरिए हुई थी,जब उन्होंने अंतर्राष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (आईएसएस) की यात्रा की थी। इसके बाद,उन्होंने कई अन्य मिशनों में भाग लिया और अंतरिक्ष विज्ञान को और भी नई दिशा दी।

सुनीता की वापसी से न केवल उनके परिवार और झुलासन गाँव के लोग खुश हैं, बल्कि पूरे देश को भी गर्व महसूस हो रहा है। उनकी सफलता ने भारतीयों को यह सिखाया कि कठिनाइयों का सामना करते हुए भी अपनी मंजिल हासिल की जा सकती है। उनकी मेहनत,साहस और निडरता ने उन्हें सिर्फ एक अंतरिक्ष यात्री नहीं, बल्कि एक प्रेरणा का स्रोत बना दिया है।

इससे पहले सुनीता विलियम्स ने कई अंतरिक्ष मिशनों में भाग लिया और वह अंतर्राष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन पर लंबे समय तक रहीं। उनका यह प्रयास केवल भारतीयों के लिए ही नहीं,बल्कि पूरी दुनिया के लिए एक प्रेरणा है। उनके योगदान को हमेशा याद किया जाएगा और उनकी वापसी के बाद वह एक बार फिर से देशवासियों के दिलों में अपनी जगह बनाएँगी।