सोल,3 फरवरी (युआईटीवी)- हिरासत में लिए गए दक्षिण कोरिया के राष्ट्रपति यून सुक-योल ने मार्शल लॉ लगाने को जायज ठहराया और हाल ही में उन्होंने सत्तारूढ़ पार्टी पीपुल्स पावर पार्टी (पीपीपी) के नेताओं से मुलाकात की। इस मुलाकात में उन्होंने नेताओं से आग्रह किया कि वे युवाओं और आम लोगों में आशा और विश्वास जगाने के लिए एकजुट हों। अधिकारियों ने सोमवार को यह जानकारी दी।
यून सुक-योल ने सोल के दक्षिण में स्थित उइवांग के सोल डिटेंशन सेंटर में पीपीपी के अंतरिम नेता क्वोन यंग-से,फ्लोर लीडर क्वोन सेओंग-डोंग और प्रतिनिधि ना क्यूंग-वोन के साथ बैठक की। इस दौरान उन्होंने पार्टी नेताओं से अपने संबोधन में कहा कि दक्षिण कोरिया की स्थिति को लेकर आम नागरिकों और खासकर युवाओं में उम्मीद की भावना को जीवित रखना बेहद महत्वपूर्ण है।
इस बैठक के बाद,पीपीपी के प्रतिनिधि ना क्यूंग-वोन ने बताया कि यून ने पार्टी नेताओं से एकजुट होकर देश की दिशा तय करने और सामाजिक समरसता की भावना को बढ़ावा देने के लिए कहा। उन्होंने यह भी बताया कि इस बैठक में केवल आंतरिक राजनीतिक मुद्दों पर ही चर्चा नहीं हुई,बल्कि वैश्विक राजनीति और अर्थव्यवस्था की पृष्ठभूमि में दक्षिण कोरिया के भविष्य के बारे में भी गहरी चिंताएँ व्यक्त की गईं।
यून सुक-योल ने इस बात पर जोर दिया कि उन्हें यह कदम,यानी मार्शल लॉ की घोषणा,एक भारी जिम्मेदारी के रूप में उठाना पड़ा। उनका मानना था कि यह कदम नेशनल असेंबली को मुख्य विपक्षी पार्टी डेमोक्रेटिक पार्टी द्वारा एकपक्षीय तानाशाही में तब्दील होने से रोकने के लिए उठाया गया था। उनका यह भी कहना था कि इस कदम का उद्देश्य राजनीतिक असंतुलन और सत्तारूढ़ पार्टी और विपक्ष के बीच स्थिरता बनाए रखना था,ताकि देश में लोकतांत्रिक प्रक्रियाएँ सही तरीके से चल सकें।
मार्शल लॉ की घोषणा के बाद,राष्ट्रपति यून सुक-योल पर विद्रोह और सत्ता के गलत इस्तेमाल के आरोप लगाए गए थे। 19 जनवरी को उन्हें औपचारिक रूप से हिरासत में लिया गया। योनहाप समाचार एजेंसी के मुताबिक,राष्ट्रपति यून ने 03 दिसंबर 2024 की रात को आपातकालीन मार्शल लॉ की घोषणा की थी,जिसे कुछ घंटों बाद संसद द्वारा नकारा गया और इसे निरस्त कर दिया गया। हालाँकि,यह कदम केवल कुछ ही घंटों के लिए प्रभावी रहा,लेकिन इसने दक्षिण कोरिया की राजनीति में तहलका मचा दिया।
मार्शल लॉ के लागू होने के बाद,दक्षिण कोरिया में राजनीतिक अस्थिरता का माहौल बना। विपक्षी दलों ने इसे लोकतांत्रिक अधिकारों पर आक्रमण के रूप में देखा, जबकि सत्तारूढ़ पार्टी ने इसे एक मजबूरी के रूप में सही ठहराया। इस स्थिति ने देश की राजनीति को गहरे संकट में डाल दिया और इस दौरान कई राजनीतिक गतिविधियों और अभियोगों का सामना करना पड़ा।
दक्षिण कोरिया की नेशनल असेंबली ने राष्ट्रपति यून सुक-योल के खिलाफ प्रस्ताव पारित किया और उनके कार्यकाल को समाप्त कर दिया। इसके बाद नेशनल असेंबली ने राष्ट्रपति यून सुक-योल के जगह लेने वाले कार्यवाहक राष्ट्रपति हान डक-सू के खिलाफ भी प्रस्ताव पारित कर चुकी है। वहीं कार्यवाहक राष्ट्रपति और कार्यवाहक प्रधानमंत्री दोनों की जिम्मेदारी उप प्रधानमंत्री और वित्त मंत्री चोई सांग-मोक को सौंपी गई। इस बदलाव से सरकार के संचालन में एक नई दिशा देखने को मिली और देश के भविष्य को लेकर नई उम्मीदें भी उत्पन्न हुईं।
यह घटनाक्रम दक्षिण कोरिया की राजनीति में एक अहम मोड़ साबित हुआ। राष्ट्रपति यून के खिलाफ लगाए गए आरोप और उनकी अस्थिर स्थिति ने देश में एक बड़ी राजनीतिक बहस को जन्म दिया। इसके साथ ही दक्षिण कोरिया के राजनीतिक और संवैधानिक ढाँचे पर भी सवाल उठाए गए,खासकर जब एक राष्ट्रपति के खिलाफ मार्शल लॉ की घोषणा जैसी गंभीर कार्रवाई की जाती है।
इन घटनाओं ने यह साबित कर दिया कि दक्षिण कोरिया के राजनीतिक परिप्रेक्ष्य में बहुत कुछ बदलने की आवश्यकता है। यह भी दर्शाता है कि देश में लोकतंत्र और सशक्त विपक्ष की भूमिका कितनी महत्वपूर्ण है,ताकि सत्ता का संतुलन बना रहे और लोकतांत्रिक प्रक्रियाओं का पालन किया जा सके।