केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह

2026 में होने वाले तमिलनाडु विधानसभा के लिए केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह का चेन्नई दौरा अहम,एआईएडीएमके नेताओं से करेंगे मुलाकात

चेन्नई,11 अप्रैल (युआईटीवी)- 2026 के तमिलनाडु विधानसभा चुनाव के मद्देनज़र केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के चेन्नई दौरे को बेहद अहम माना जा रहा है। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह शुक्रवार सुबह चेन्नई पहुँचे,जहाँ उनका लक्ष्य डीएमके के खिलाफ एक मजबूत गठबंधन बनाने का माना जा रहा है। शाह की यात्रा का मुख्य उद्देश्य भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) और ऑल इंडिया अन्ना द्रविड़ मुनेत्र कड़गम (एआईएडीएमके) के बीच टूट चुके गठबंधन को फिर से मजबूत करना है। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह 2 महीने में पाँचवीं बार तमिलनाडु के दौरे पर पहुँचे हैं।

चेन्नई हवाई अड्डे पर भाजपा के तमिलनाडु अध्यक्ष के.अन्नामलाई,केंद्रीय राज्य मंत्री एल. मुरुगन और वरिष्ठ नेता तमिलिसाई सुंदरराजन,नैनार नागेंद्रन और पोन राधाकृष्णन ने अमित शाह का गर्मजोशी से स्वागत किया।

सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार, अमित शाह की यह यात्रा उस दिशा में एक ठोस प्रयास है,जहाँ भाजपा और एआईएडीएमके के रिश्तों में आई दरार को मिटाया जा सके। शाह चेन्नई में गिंडी के एक निजी होटल में दोपहर बाद प्रेस को भी संबोधित करेंगे,जहाँ वे इस मुद्दे पर अपनी रणनीति को स्पष्ट कर सकते हैं।

भाजपा नेता शाह,एआईएडीएमके महासचिव और पूर्व मुख्यमंत्री एडप्पादी के. पलानीस्वामी (ईपीएस) के साथ बैठक करेंगे। उनके साथ द्रविड़ राजनीति से जुड़े वरिष्ठ नेताओं से भी वार्ता होने की संभावना है। इन बैठकों का उद्देश्य आगामी चुनाव से पहले किसी भी राजनीतिक समझौते को औपचारिक रूप देना है, ताकि गठबंधन की जमीन मजबूत हो सके।

अमित शाह अपने चेन्नई दौरे के दौरान राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के वरिष्ठ पदाधिकारियों और भाजपा नेताओं के साथ कई उच्च स्तरीय बैठकें भी करेंगे। इस क्रम में तुगलक पत्रिका के संपादक और आरएसएस के प्रमुख विचारक एस. गुरुमूर्ति से मुलाकात की भी योजना है। गुरुमूर्ति तमिलनाडु की राजनीति में प्रभावशाली माने जाते हैं और संघ के समन्वय प्रयासों में अहम भूमिका निभाते हैं।

सूत्र बताते हैं कि आरएसएस नेतृत्व का मानना है कि यदि 2026 के विधानसभा चुनाव से पहले समय रहते गठबंधन नहीं किया गया,तो प्रचार रणनीतियों और संगठनात्मक समन्वय के लिए पर्याप्त समय नहीं मिलेगा। इसलिए भाजपा-एआईएडीएमके के पुराने समीकरण को पुनर्जीवित करने के लिए अब ठोस कदम उठाए जा रहे हैं।

भाजपा और एआईएडीएमके का गठबंधन 2021 के विधानसभा चुनाव में काफी कारगर साबित हुआ था। भाजपा ने चार सीटें जीती थीं,जबकि एआईएडीएमके ने 66 सीटों पर जीत दर्ज की थी। हालाँकि,सितंबर 2023 में यह गठबंधन टूट गया।

गठबंधन टूटने के पीछे मुख्य कारण था—भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष के. अन्नामलाई द्वारा एआईएडीएमके के संस्थापक सी. एन. अन्नादुरई (अन्ना) और पूर्व मुख्यमंत्री जे. जयललिता पर दिए गए विवादास्पद बयान। इन टिप्पणियों से एआईएडीएमके नेतृत्व काफी नाराज हुआ और अंततः गठबंधन समाप्त हो गया।

अन्नामलाई के नेतृत्व में राज्य भाजपा की आक्रामक रणनीति, स्थानीय द्रविड़ नेताओं की आलोचना और केंद्र की सीधी राजनीति ने संबंधों को और बिगाड़ा। इसके परिणामस्वरूप 2024 के लोकसभा चुनाव में दोनों दलों को करारी शिकस्त झेलनी पड़ी।

अमित शाह की इस यात्रा से उम्मीद जताई जा रही है कि भाजपा और एआईएडीएमके के बीच जमी बर्फ पिघलेगी और दोनों पार्टियाँ तमिलनाडु में एक बार फिर साथ आ सकती हैं। खासतौर पर तब,जब दोनों दलों को महसूस हो चुका है कि अकेले दम पर वे राज्य की जटिल द्रविड़ राजनीति में टिकाऊ प्रभाव नहीं बना सकते।

राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि तमिलनाडु में भाजपा का आधार अभी सीमित है और उसे राज्य में पैर जमाने के लिए एक मजबूत क्षेत्रीय सहयोगी की आवश्यकता है। वहीं, एआईएडीएमके को भी अपने राजनीतिक वजूद को बचाए रखने और डीएमके के प्रभाव को टक्कर देने के लिए भाजपा जैसे राष्ट्रीय सहयोगी की जरूरत है।

अमित शाह का चेन्नई दौरा सिर्फ एक राजनीतिक यात्रा नहीं,बल्कि भाजपा की रणनीतिक समझ का हिस्सा है। यह स्पष्ट है कि भाजपा अब तमिलनाडु में एक दीर्घकालिक योजना के तहत अपनी स्थिति मजबूत करना चाहती है और इसके लिए वह पुराने सहयोगियों को साथ लेकर चलने को तैयार है।

अब देखना यह है कि अमित शाह की यह पहल एआईएडीएमके के दिल को छू पाती है या नहीं,लेकिन एक बात तो तय है कि 2026 के विधानसभा चुनाव से पहले तमिलनाडु की राजनीति में गठबंधन और ध्रुवीकरण की तस्वीर अब तेजी से साफ होने लगी है।