नई दिल्ली,17 मार्च (युआईटीवी)- तमिलनाडु सरकार ने हाल ही में अपने 2025-26 बजट लोगो में मानक भारतीय रुपये के प्रतीक (₹) को तमिल अक्षर “ரூ” (उच्चारण ‘रु’) से बदल दिया है। इस कदम ने राजनीतिक बहस छेड़ दी है,खासकर यह देखते हुए कि मूल रुपये का प्रतीक तमिल निवासी और आईआईटी गुवाहाटी में प्रोफेसर डी उदय कुमार द्वारा डिजाइन किया गया था।
विवाद के जवाब में,प्रोफेसर उदय कुमार ने बहस पर आश्चर्य व्यक्त करते हुए कहा, “मैं इस प्रतीक का डिज़ाइनर होने के कारण वास्तव में खुश हूँ,लेकिन मैंने कभी नहीं सोचा था कि इस तरह की बहस कभी होगी।” उन्होंने आगे उल्लेख किया कि उन्हें राज्य के निर्णय के पीछे के कारणों के बारे में पूरी जानकारी नहीं है और उन्होंने स्वीकार किया कि सरकार के पास इस बदलाव के लिए अपने स्वयं के दृष्टिकोण और कारण हो सकते हैं।
केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने डीएमके के नेतृत्व वाली तमिलनाडु सरकार के फैसले की आलोचना करते हुए इस विडंबना को उजागर किया कि रुपये का प्रतीक चिन्ह,जिसे एक तमिल व्यक्ति ने डिजाइन किया था,अब बदला जा रहा है। उन्होंने राज्य सरकार पर क्षेत्रीय गौरव की आड़ में क्षेत्रीय अंधभक्ति और अलगाववादी भावनाओं को बढ़ावा देने का आरोप लगाया।
डीएमके ने अपने फ़ैसले का बचाव करते हुए कहा कि मूल भाषा का इस्तेमाल करने में कुछ भी ग़लत नहीं है और देवनागरी लिपि थोपे जाने के ख़िलाफ़ उनके रुख़ पर ज़ोर दिया। उनका तर्क है कि यह कदम राष्ट्रीय शिक्षा नीति में प्रस्तावित त्रि-भाषा फ़ॉर्मूले के बजाय तमिल और अंग्रेज़ी को बढ़ावा देने की उनकी नीति के अनुरूप है।
प्रोफेसर उदय कुमार ने इस मुद्दे के राजनीतिक पहलुओं से खुद को दूर रखते हुए कहा कि उनके पिता की पिछली राजनीतिक संबद्धताएँ महज संयोग थीं और वर्तमान बहस से उनका कोई संबंध नहीं था।