नई दिल्ली, 21 अगस्त (युआईटीवी/आईएएनएस)- प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि जाइडस कैडिला के स्वदेशी जायकोव-डी दुनिया की पहली डीएनए-आधारित वैक्सीन को मंजूरी भारत के वैज्ञानिकों के अभिनव उत्साह का प्रमाण है। उन्होंने एक ट्वीट कर कहा, “भारत पूरी ताकत के साथ कोविड-19 से लड़ रहा है। जाइडस यूनिवर्स के दुनिया के पहले डीएनए आधारित ‘जायकोव-डी’ वैक्सीन को मंजूरी भारत के वैज्ञानिकों के इनोवेटिव उत्साह का प्रमाण है। वास्तव में एक महत्वपूर्ण उपलब्धि है।”
सेंट्रल ड्रग्स स्टैंडर्ड कंट्रोल ऑर्गनाइजेशन की सब्जेक्ट एक्सपर्ट कमेटी ने भारत में जाइडस कैडिला की तीन-खुराक वैक्सीन आपातकालीन उपयोग प्राधिकरण को मंजूरी दे दी है। टीका 12 वर्ष और उससे अधिक आयु के लोगों को दिया जा सकता है।
जायकोव-डी अपनी तरह का पहला डीएनए वैक्सीन है जो इम्यूनिटी प्राप्त करने के लिए सार्स-कोव-2 के बूस्टर प्रोटीन का उत्पादन करता है। यह एक इंट्राडर्मल वैक्सीन है जिसे बिना सुई के इस्तेमाल के बगैर लगाया जाएगा। निर्माता का कहना है कि साइड इफेक्ट भी कम होगा।
इससे पहले, केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मंडाविया ने कहा, “राष्ट्र के लिए दोहरी खुशखबरी! जाइडस कैडिला ने दुनिया में पहली डीएनए-आधारित, सुई-मुक्त जायकोव-डी कोविड वैक्सीन को मंजूरी दी। भारत के बच्चों को कोविड- सुरक्षित, इस टीके का उपयोग 12 वर्ष और उससे अधिक आयु के व्यक्तियों के लिए किया जा सकता है।”
ट्वीट कर उन्होंने आगे कहा, ‘जायकोव-डी’ भारत में 6वां कोविड-19 वैक्सीन है और दूसरा स्वदेशी रूप से विकसित एक है।”
28,000 से अधिक वॉलेंटिर्य को शामिल करते हुए चरण 3 क्लीनिकल टेस्टों के अंतरिम परिणामों ने रोगसूचक आरटी-पीसीआर पॉजिटिव मामलों के लिए 66.6 प्रतिशत की प्राथमिक प्रभावकारिता दिखाई। भारत में कोविड-19 के टीकों का यह अब तक का सबसे बड़ा टेस्ट है।