किसान संगठन

5 फसलों पर एमएसपी देने के केंद्र के प्रस्ताव को किसानों ने किया खारिज

चंडीगढ़,20 फरवरी (युआईटीवी)- 5 फसलों कपास,मक्का,अरहर/तूर, मसूर और उड़द पर पॉंच साल के लिए सरकारी एजेंसियों द्वारा न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) देने के केंद्र के प्रस्ताव को किसानों ने खारिज कर दिया है। किसान यूनियन के नेताओं ने कहा कि यह किसानों के हित में नहीं है। पंजाब के पटियाला जिले में पंजाब-हरियाणा के शंभू बॉर्डर पर हुई एक बैठक के पश्चात किसान नेता सरवन सिंह पंधेर और जगजीत सिंह दल्लेवाल ने यह घोषणा की।

चंडीगढ़ में चौथे दौर की वार्ता के दौरान तीन केंद्रीय मंत्रियों पीयूष गोयल,नित्यानंद राय और अर्जुन मुंडा ने किसानों को रविवार को एक प्रस्ताव दिया था।

किसान नेता सरवन सिंह पंधेर ने चौथे दौर की वार्ता समाप्त होने के तुरंत बाद सोमवार रात को कहा कि, ” केंद्र द्वारा दिए गए प्रस्तावों पर हम साथी किसानों के साथ बातचीत करेंगे और इस पर विशेषज्ञों की राय भी लेंगे। ”

सुनिश्चित एमएसपी पर केंद्र ने जिन फसलों को खरीदने का प्रस्ताव दिया है,उनमें दालें (अरहर/तूर, मसूर और उड़द),मक्का और कपास शामिल हैं।

प्रस्तावित है कि किसानों से फसल खरीदने के लिए कॉटन कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया,एनएएफईडी और एनसीसीएफ जैसी केंद्रीय एजेंसियाँ पाँच साल के लिए अनुबंध पर हस्ताक्षर करेंगी।

इस प्रस्ताव का अर्थशास्त्री सुच्चा सिंह गिल ने आलोचना की है और कहा कि व्यापक रूप से संकट का समाधान चार या पाँच फसलों तक एमएसपी को सीमित करने से नहीं होगा। उन्होंने सभी 23 फसलों के लिए एमएसपी कैलकुलेशन की जरुरत पर जोर दिया,ताकि देशभर में उचित मूल्य सुनिश्चित किया जा सकेगा।

तीन केंद्रीय मंत्रियों अर्जुन मुंडा, पीयूष गोयल और नित्यानंद राय ने किसान नेताओं को कहा कि पहले तो उनके प्रस्ताव पर चर्चा कर अपनी सहमति दे,उसके बाद ही अंतिम योजना का निर्धारण होगा।

बैठक के बाद पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान ने मीडिया से बातचीत करते हुए कहा कि यदि एमएसपी इस फसल के लिए दिया जाए,तो दालों के उत्पादन में पंजाब देश का नेतृत्व कर सकता है और देश में यह दूसरी हरित क्रांति होगी।

मुख्यमंत्री भगवंत मान ने कहा कि यदि कपास और मक्का पर एमएसपी मिलेगा,तभी राज्य के किसान इन फसलों को अपना सकते हैं।

उन्होंने कहा कि किसानों को फसल विविधीकरण के लिए इन फसलों की सुनिश्चित मार्केटिंग ही प्रोत्साहित कर सकती है। आज देश दालों का आयात दूसरे देशों से करता है,जबकि हमारे देश के किसान इन दालों का उत्पादन कर सकते हैं और ऐसा तभी संभव है,जब किसानों को लाभकारी मूल्य प्राप्त होगा।

 

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