धनबाद – धनबाद के एसएसपी अखिलेश बी वारियर ने 17 मई को राजगंज में सीआरपीएफ जवान मंजीत सिंह के साथ मारपीट करने के मामले में प्रशिक्षु दरोगा हिमांशु कुमार को दोषी पाया और उसे लाइन क्लोज कर दिया। इस मामले की जाँच बाघमारा एसडीपीओ नितिन खंडेलवाल को सौंपी गई थी,जिन्होंने वीडियो फुटेज और गवाहों के बयान का सत्यापन किया। जाँच रिपोर्ट मिलने के बाद,23 मई को एसएसपी ने हिमांशु कुमार को सजा दी।
17 मई को मंजीत सिंह,जो यूपी के प्रयागराज स्थित आरएफ बटालियन 101 में सीआरपीएफ जवान के रूप में कार्यरत है,अपनी बाइक से बाजार गया था। लॉकडाउन के कारण वह घर में फँसा हुआ था। उसने हेलमेट नहीं पहना था,जिसके कारण प्रशिक्षु दरोगा हिमांशु कुमार और अभिषेक कुमार ने उसे रोका। जवान ने बिना जवाब दिए माफी माँगी,लेकिन हिमांशु ने उसकी बाइक की चाबी छिनने की कोशिश की,जिससे विवाद बढ़ गया। हिमांशु ने पहले जवान के साथ हाथापाई की और फिर लाठी से हमला किया। इसके बाद,उसने जवान के मुँह में लिपटा गमछा उसकी गर्दन में डालते हुए उसे थाने तक ले जाया। तीन घंटे बाद,लोगों के हस्तक्षेप पर उसे पीआर बॉन्ड पर छोड़ दिया गया।
पीड़ित जवान मंजीत सिंह ने पूरी घटना की लिखित शिकायत एसएसपी से की और वीडियो फुटेज भी सौंपा। इस मामले की जाँच के बाद,एसडीपीओ नितिन खंडेलवाल ने पुष्टि की कि प्रशिक्षु दरोगा हिमांशु कुमार का व्यवहार अनुचित था और उन्होंने जाँच रिपोर्ट एसएसपी को सौंप दी। इसके बाद एसएसपी ने हिमांशु को लाइन क्लोज कर दिया।
घटना के बाद मंजीत सिंह ने 20 मई को एसएसपी से मुलाकात की और दोषी दरोगा के खिलाफ कार्रवाई की माँग की। एसडीपीओ खंडेलवाल ने घटना से जुड़े वीडियो और गवाहों के बयान की जाँच करने के बाद यह पाया कि प्रशिक्षु दरोगा का व्यवहार गलत था। बताया जाता है कि हिमांशु कुमार राजगंज क्षेत्र में अपने आक्रामक व्यवहार के कारण पहले भी चर्चा में रहे थे।
इस प्रकरण में निष्पक्ष कार्रवाई सुनिश्चित करने के लिए एसएसपी ने जाँच के बाद उचित कदम उठाया और पीड़ित जवान को न्याय दिलवाने का आश्वासन दिया।