लखनऊ, 31 मई (युआईटीवी/आईएएनएस)- मोनोक्लोनल एंटीबॉडी उपचार चिकित्सा जिसका उपयोग पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प के कोविड उपचार में किया गया था और इसे ट्रम्प कॉकटेल थेरेपी के रूप में जाना जाता है, अब ये थेरेपी शहर के दो निजी अस्पतालों में उपलब्ध है।
इस थेरेपी को हाल ही में भारत के केंद्रीय औषधि मानक नियंत्रण संगठन (सीडीएससीओ) से मंजूरी मिली थी।
मेदांता अस्पताल के निदेशक डॉ राकेश कपूर ने कहा, “एक 55 वर्षीय पुरुष कोविड रोगी रविवार को लखनऊ में ‘कॉकटेल थेरेपी’ प्राप्त करने वाला पहला व्यक्ति बन गया है। उसे डॉ रुचिता शर्मा द्वारा दवा दी गई। रोगी ने लक्षणों और वायरल लोड में कमी महसूस की है। वर्तमान में, उपचार की लागत 60,000 रुपये है।”
अपोलोमेडिक्स सुपर स्पेशलिटी अस्पताल के प्रबंध निदेशक डॉ मयंक सोमानी ने कहा, “मोनोक्लोनल एंटीबॉडी कॉकटेल थेरेपी, जिसे ‘ट्रम्प कॉकटेल’ के रूप में भी जाना जाता है, अब हमारे अस्पताल में उपलब्ध है। उपचार की विधि हल्के या मध्यम कोविड रोगियों में प्रभावी है जहां ऑक्सीजन समर्थन की आवश्यकता नहीं है। एक मरीज को संक्रमण के लिए सकारात्मक परीक्षण के 10 दिनों के भीतर चिकित्सा दी जानी चाहिए।”
विशेषज्ञों ने कहा कि कॉकटेल थेरेपी एक दवा, रेजेनरॉन के माध्यम से प्रशासित की गई थी, जो प्रयोगशालाओं में विकसित दो कृत्रिम एंटीबॉडी, कैस्ट्रिविमैब और इमदेविमाब का संयोजन है।
यह पाया गया है कि एंटीबॉडी का कॉकटेल मानव कोशिका में नोवेल कोरोनावायरस के प्रवेश को रोकता है, इस प्रकार इसे शरीर में अन्य कोशिकाओं में जाने से पहले कोशिका को दोहराने और नुकसान पहुंचाने से रोकता है।
दवा को रोगी के शरीर में अंत शिरा विधि के माध्यम से प्रशासित किया जाता है जिसमें लगभग एक घंटे का समय लगता है।
यदि कोई जटिलता न हो तो रोगी को घर भेजने से पहले एक घंटे तक निगरानी में रखा जाता है।
चिकित्सा आमतौर पर सहरुग्णता वाले रोगियों को दी जाती है जिनमें कोविड संक्रमण के गंभीर होने की संभावना अधिक होती है।