अमेरिका से निर्वासित भारतीय (तस्वीर क्रेडिट@JaikyYadav16)

ट्रंप सरकार ने अमेरिका से निर्वासित भारतीय महिलाओं और बच्चों को लेकर लिया बड़ा फैसला

नई दिल्ली/अमृतसर,17 फरवरी (युआईटीवी)- पंजाब के अमृतसर में शनिवार देर रात एक अमेरिकी सैन्य विमान से 116 अवैध भारतीय प्रवासी उतरे। इनमें महिलाएँ और बच्चे भी शामिल थे और सूत्रों के अनुसार, इन निर्वासितों में शामिल महिलाओं और बच्चों को उड़ान के दौरान बेड़ियाँ नहीं लगाई गईं थीं। यह विमान, सी-17, भारतीय प्रवासियों का दूसरा जत्था लेकर अमृतसर हवाई अड्डे पर उतरा था और यह कार्रवाई डोनाल्ड ट्रंप प्रशासन के तहत की गई। यह वही प्रशासन है,जिसने अवैध प्रवासियों पर कार्रवाई करते हुए भारतीय नागरिकों को निर्वासित करने की प्रक्रिया को तेज किया है।

अमेरिकी सैन्य विमान से पहुँचे 116 अवैध प्रवासियों में से अधिकांश लोग पंजाब, हरियाणा,उत्तर प्रदेश,गुजरात,गोवा,महाराष्ट्र और राजस्थान जैसे राज्यों से हैं। यह वही प्रवासी हैं,जिन्हें अमेरिका में अवैध रूप से रहने के कारण डिपोर्ट किया गया है। खास बात यह है कि पिछले जत्थे के मुकाबले इस बार महिलाओं और बच्चों के लिए यात्रा के दौरान कोई बेड़ियाँ नहीं लगाई गईं। जबकि पहले 5 फरवरी को अमृतसर पहुँचे पहले जत्थे में 104 भारतीय नागरिकों को सैन्य विमान में हथकड़ी और बेड़ियों से जकड़ कर भेजा गया था। इस मामले में भारत में बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन हुए थे और इसे अमानवीय व्यवहार के रूप में देखा गया था।

पिछली बार,विपक्षी दलों और विभिन्न मानवाधिकार संगठनों ने इस कड़ी कार्रवाई की कड़ी निंदा की थी और कई नेताओं ने मोदी सरकार की कूटनीतिक स्थिति पर सवाल उठाए थे। विपक्ष ने कहा था कि अवैध प्रवासियों का डिपोर्टेशन पहले भी होता आया है,लेकिन ऐसा पहली बार हुआ है कि उन्हें सैन्य विमान में,बंधन में बाँधकर भेजा गया हो। इस घटना पर संसद में भी हंगामा मचा था और विपक्षी नेताओं ने भारत सरकार से माँग की थी कि वह अमेरिका के साथ इस मुद्दे पर गंभीरता से बात करे।

भारत सरकार ने संसद में मचे हंगामे के बाद इस मुद्दे को गंभीरता से लिया और अमेरिकी अधिकारियों से संपर्क किया। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के आगामी अमेरिका दौरे के दौरान भी यह मुद्दा उठाया गया था और भारत सरकार ने स्पष्ट किया कि अवैध प्रवासी भारतीयों के हाथों में हथकड़ी और पैरों में बेड़ियाँ नहीं लगनी चाहिए। इसके साथ ही,भारत सरकार ने अमेरिकी अधिकारियों से यह भी आग्रह किया था कि भविष्य में ऐसे निर्वासितों को इन्सानियत के आधार पर भेजा जाए और उनके साथ कोई अमानवीय व्यवहार न किया जाए।

हालाँकि,इस बार यह स्पष्ट नहीं हो पाया है कि इन निर्वासितों को रेगुलर फ्लाइट के जरिए भेजा जा रहा है या फिर पिछले बार की तरह अमेरिकी सैन्य विमान से ही छोड़ा जाएगा। यह देखने वाली बात होगी कि भारतीय सरकार और अमेरिका के बीच होने वाली बातचीत के बाद क्या बदलाव आता है और क्या इस मामले में कोई नीतिगत परिवर्तन होता है।

अमेरिकी प्रशासन द्वारा अवैध प्रवासियों के खिलाफ की जा रही कार्रवाई, जिसमें भारतीय नागरिकों को डिपोर्ट किया जा रहा है,इससे दोनों देशों के रिश्तों पर असर पड़ सकता है। भारत ने यह स्पष्ट किया है कि वह इस मुद्दे को कूटनीतिक तरीके से हल करना चाहता है और भविष्य में इस तरह की घटनाओं को रोका जाए।

इन घटनाओं से यह भी संकेत मिलता है कि अवैध प्रवासियों की वापसी पर कई देशों में कड़ी नीतियाँ लागू हो रही हैं और इस तरह की घटनाओं के बारे में सरकारों और नागरिक समाज के बीच अधिक संवाद की आवश्यकता है,ताकि किसी भी नागरिक के साथ कोई अमानवीय व्यवहार न हो।