डोनाल्ड ट्रंप (तस्वीर क्रेडिट@KraantiKumar)

ट्रंप ने अमेरिका के ‘कब्जा’ की अपनी योजना को दोहराते हुए कहा- इजरायल लड़ाई के अंत में क्षेत्र को अमेरिका को सौंप देगा

वाशिंगटन,7 फरवरी (युआईटीवी)- डोनाल्ड ट्रंप ने गाजा क्षेत्र पर अमेरिका के ‘कब्जा’ की अपनी योजना को फिर से व्यक्त किया,जिसके बाद यह मुद्दा अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर चर्चा का विषय बन गया। ट्रंप ने मंगलवार रात को अपने योजना की घोषणा की थी,जिसे बुधवार को फिलिस्तीनी और विश्व नेताओं द्वारा पूरी तरह से नकारा गया। हालाँकि, इससे ट्रंप पर कोई प्रभाव नहीं पड़ा और उन्होंने अपनी योजना पर दृढ़ता से अपनी राय व्यक्त की।

सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘ट्रूथ सोशल’ पर ट्रंप ने एक पोस्ट साझा किया, जिसमें उन्होंने कहा, “लड़ाई के अंत में,इजरायल गाजा पट्टी को संयुक्त राज्य अमेरिका को सौंप देगा। फिलिस्तीनी,जैसे चक शूमर,पहले ही कहीं अधिक सुरक्षित और सुंदर घरों में बस चुके होंगे।” ट्रंप ने आगे लिखा, “उन्हें खुश,सुरक्षित और स्वतंत्र होने का मौका मिलेगा। अमेरिका,दुनिया भर की महान विकास टीमों के साथ मिलकर,धीरे-धीरे,सावधानी से निर्माण कार्य शुरू करेगा,जो पृथ्वी पर अपनी तरह का सबसे शानदार और सबसे महान विकास कार्य होगा। इसके लिए अमेरिका के किसी भी सैनिक की जरूरत नहीं होगी और क्षेत्र में स्थिरता कायम हो जाएगी।”

यह बयान उस समय आया जब मंगलवार (4 जनवरी) को इजरायल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू के साथ एक संयुक्त प्रेस कॉन्फ्रेंस में ट्रंप ने गाजा क्षेत्र को विकासित करने का प्रस्ताव दिया था। ट्रंप के पोस्ट में यह स्पष्ट नहीं किया गया था कि क्या फिलिस्तीनी नागरिकों को वापस लौटने का अधिकार दिया जाएगा या नहीं। यह जानकारी महत्वपूर्ण है,क्योंकि अंतर्राष्ट्रीय कानून के तहत कब्जे वाले क्षेत्र से लोगों को जबरन स्थानांतरित करने के प्रयासों पर कड़ा प्रतिबंध है।

ट्रंप के गाजा क्षेत्र के विकास के प्रस्ताव के बाद,यह आशंका व्यक्त की गई थी कि फिलिस्तीनियों का विस्थापन स्थायी हो सकता है। उनके इस बयान के बाद कुछ मानवाधिकार संगठनों और अंतर्राष्ट्रीय संगठनों ने इसकी गंभीर रूप से आलोचना की। आलोचकों ने ट्रंप पर आरोप लगाया कि वे जातीय सफाए की योजना बना रहे हैं। विशेष रूप से,संयुक्त राष्ट्र और अरब नेताओं ने इस योजना की निंदा की है और इसे एक मानवाधिकार उल्लंघन के रूप में देखा है।

इसके बाद व्हाइट हाउस की ओर से ट्रंप के बयान पर स्पष्टीकरण भी दिया गया। व्हाइट हाउस की प्रवक्ता कैरोलिन लेविट ने बुधवार को कहा कि किसी भी प्रकार का विस्थापन अस्थायी होगा और यह किसी भी हाल में स्थायी नहीं होगा। उनका यह बयान कुछ हद तक आलोचनाओं को शांत करने का प्रयास था। वहीं,विदेश मंत्री मार्को रुबियो ने भी इस योजना पर टिप्पणी की और कहा कि विचार यह है कि गाजा के लोग “अंतरिम” अवधि के लिए क्षेत्र छोड़ देंगे,जब तक कि मलबा साफ किया जा रहा हो और पुनर्निर्माण कार्य चल रहा हो।

इजरायली प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने ट्रंप की योजना का समर्थन किया और इसे एक सकारात्मक कदम माना। उन्होंने कहा कि यह योजना गाजा क्षेत्र के विकास और स्थिरता के लिए आवश्यक है। वहीं,इजरायली रक्षा मंत्री इज़राइल कैट्ज ने गुरुवार को कहा कि उन्होंने सेना को एक योजना तैयार करने का निर्देश दिया है, ताकि गाजा पट्टी छोड़ने के इच्छुक फिलिस्तीनियों को बाहर जाने में मदद की जा सके। कैट्ज का कहना था कि यह कदम गाजा क्षेत्र में स्थिति को बेहतर बनाने और वहां स्थिरता लाने के लिए उठाया जा रहा है।

इस पूरे घटनाक्रम ने अंतर्राष्ट्रीय समुदाय में गहरी चिंता और असहमति को जन्म दिया है। फिलिस्तीनी नेताओं और अरब देशों ने इसे एक तरह से गाजा में फिलिस्तीनी लोगों के अधिकारों का उल्लंघन माना है। उनका कहना है कि किसी भी प्रकार का विस्थापन न केवल मानवाधिकारों का उल्लंघन होगा,बल्कि इससे क्षेत्र में स्थिरता की बजाय अस्थिरता बढ़ेगी। इसके साथ ही,इस योजना के तहत अमेरिका द्वारा गाजा पर नियंत्रण की कल्पना ने इसे एक विवादित मुद्दा बना दिया है।

इस मुद्दे पर आगे क्या होगा,यह अभी तक स्पष्ट नहीं है। फिलिस्तीनी और अंतर्राष्ट्रीय समुदाय की आलोचना और ट्रंप प्रशासन का समर्थन दोनों के बीच संतुलन बनाने की कोशिशों में समय लगेगा। इस समय,गाजा के भविष्य को लेकर कोई स्पष्ट नीति सामने नहीं आई है और इसे लेकर विचार-विमर्श जारी है।

यह घटनाक्रम यह भी दिखाता है कि अंतर्राष्ट्रीय राजनीति में किसी क्षेत्र पर नियंत्रण या पुनर्निर्माण के प्रयास केवल स्थानीय और राष्ट्रीय नीति नहीं होते,बल्कि वैश्विक स्तर पर प्रभाव डालने वाले निर्णय होते हैं। यह नीति,जो गाजा के भविष्य को लेकर बनाई जा रही है,फिलिस्तीनी लोगों के लिए एक बड़ा मोड़ हो सकती है और इसका प्रभाव न केवल मध्य पूर्व,बल्कि पूरी दुनिया में महसूस किया जाएगा।