डोनाल्ड ट्रंप (तस्वीर क्रेडिट@SonOfBharat7)

ट्रंप ने भारत समेत ब्रिक्स के अन्य देशों को दी धमकी,कहा- डॉलर को स्वीकार करना होगा, नहीं तो 100 फीसदी शुल्क लगा देंगे

नई दिल्ली,1 फरवरी (युआईटीवी)- अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने शुक्रवार को वैश्विक व्यापार में अमेरिकी डॉलर की प्रमुखता को लेकर ब्रिक्स देशों को एक सख्त चेतावनी दी। ट्रंप ने कहा कि यदि ब्रिक्स देशों ने अमेरिकी डॉलर को वैश्विक व्यापार में मुख्य मुद्रा के रूप में हटाने की कोशिश की,तो उनके निर्यात पर 100 प्रतिशत शुल्क लगाया जाएगा। यह बयान ट्रंप के उस रुख का हिस्सा है,जिसमें उन्होंने अमेरिकी डॉलर को वैश्विक व्यापार में एक अभेद्य और महत्वपूर्ण मुद्रा के रूप में बनाए रखने का समर्थन किया।

ट्रंप ने इस मुद्दे पर बार-बार अपनी स्थिति स्पष्ट की है और ब्रिक्स देशों को चेतावनी दी कि वे अमेरिकी डॉलर को नजरअंदाज करने के परिणामों को समझें। उन्होंने कहा, “यदि ब्रिक्स देश अमेरिकी डॉलर से दूर जाने की कोशिश करते हैं,तो उन्हें इसके परिणाम भुगतने होंगे।” यह पहली बार नहीं है,जब ट्रंप ने इस तरह की कड़ी चेतावनी दी है। इससे पहले,नवंबर 2020 में अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव जीतने के कुछ सप्ताह बाद भी उन्होंने इसी प्रकार की धमकी दी थी।

ट्रंप के इस बयान ने एक बार फिर से वैश्विक अर्थव्यवस्था में अमेरिकी डॉलर की भूमिका पर सवाल उठाए हैं। दरअसल,ब्रिक्स देशों ने पिछले कुछ सालों में अमेरिकी डॉलर पर अपनी निर्भरता कम करने के उपायों पर विचार करना शुरू किया है। हालाँकि,वर्तमान में ब्रिक्स देशों के पास कोई सामान्य मुद्रा नहीं है,फिर भी इन देशों ने अपनी स्थानीय मुद्राओं में व्यापार बढ़ाने के लिए कदम उठाए हैं। इन देशों में ब्राजील,रूस,भारत,चीन और दक्षिण अफ्रीका शामिल हैं। इन देशों ने कई बार अमेरिकी डॉलर के मुकाबले अपनी मुद्रा को वैश्विक व्यापार में इस्तेमाल करने की संभावनाओं पर चर्चा की है।

ट्रंप ने इस मुद्दे पर अपनी राय सोशल मीडिया के एक पोस्ट में साझा करते हुए लिखा कि, “यह विचार कि ब्रिक्स देश डॉलर से दूर जाने की कोशिश कर रहे हैं,जबकि हम खड़े होकर देख रहे हैं,अब खत्म हो चुका है।” ट्रंप ने कहा कि उन्हें ब्रिक्स देशों से यह सुनिश्चित करने की आवश्यकता है कि वे किसी नई मुद्रा का निर्माण नहीं करेंगे और न ही अमेरिकी डॉलर के स्थान पर किसी अन्य मुद्रा का समर्थन करेंगे। ट्रंप ने चेतावनी दी कि यदि ब्रिक्स देशों ने ऐसा किया,तो उन्हें 100 प्रतिशत टैरिफ का सामना करना पड़ेगा और उनका सामान अमेरिकी बाजार में प्रवेश नहीं कर पाएगा।

ट्रंप के इस बयान ने वैश्विक मुद्रा प्रणाली में अमेरिकी डॉलर की अहमियत को फिर से उजागर किया है। अमेरिकी डॉलर दशकों से अंतर्राष्ट्रीय व्यापार में प्रमुख मुद्रा रही है और यह वित्तीय लेन-देन,व्यापारिक आदान-प्रदान और वैश्विक बचत का मुख्य आधार बनी हुई है। ट्रंप का कहना है कि कोई भी देश जो अमेरिकी डॉलर की जगह लेने की कोशिश करेगा,उसे अमेरिका से व्यापार संबंधों में समस्याओं का सामना करना पड़ेगा।

इस समय, ब्रिक्स देशों का अमेरिकी डॉलर पर निर्भरता कम करने की कोशिशें कई कारणों से हैं। पहले,अमेरिका द्वारा अपनी मुद्रा की स्थिति को लेकर उठाए गए कदमों और उसके वित्तीय निर्णयों का असर इन देशों की अर्थव्यवस्थाओं पर पड़ता है। इसके अलावा,इन देशों की इच्छा है कि वे अपनी मुद्राओं के इस्तेमाल से अपनी आर्थिक स्वतंत्रता बढ़ा सकें और डॉलर की बजाय अपनी स्थानीय मुद्राओं का व्यापारिक लाभ उठा सकें।

हालाँकि,ट्रंप का मानना है कि यह संभव नहीं है कि ब्रिक्स देशों का कोई भी प्रयास अमेरिकी डॉलर को चुनौती दे सके। उन्होंने कहा कि, “यह बात कोई और बेवकूफ देश ही सोच सकता है,लेकिन ब्रिक्स देशों के लिए यह असंभव है कि वे अमेरिकी डॉलर की जगह लें,जो भी देश ऐसा करने की कोशिश करेगा,उसे टैरिफ का सामना करना पड़ेगा और अमेरिका से व्यापार बंद कर देना होगा।” ट्रंप का यह बयान एक तरह से अमेरिकी डॉलर की वैश्विक मुद्रा के रूप में अहमियत को बनाए रखने की उनकी प्रतिबद्धता को दर्शाता है।

ब्रिक्स देशों ने भले ही अमेरिकी डॉलर के मुकाबले अपनी मुद्राओं का इस्तेमाल बढ़ाने की कोशिशें की हों,लेकिन अब तक वे इस लक्ष्य में पूरी तरह से सफल नहीं हो पाए हैं। इन देशों के बीच वित्तीय समझौतों और द्विपक्षीय व्यापार में अपनी-अपनी स्थानीय मुद्राओं का उपयोग बढ़ाने के बावजूद,वैश्विक व्यापार में अमेरिकी डॉलर की स्थिति मजबूत बनी हुई है। इन देशों को वैश्विक स्तर पर अमेरिकी डॉलर की जगह अपनी मुद्रा को स्वीकार कराने के लिए कई आर्थिक,राजनीतिक और तकनीकी चुनौतियों का सामना करना पड़ेगा।

अंततः, ट्रंप का यह बयान न केवल ब्रिक्स देशों को बल्कि पूरे विश्व को यह संदेश देता है कि अमेरिकी डॉलर की स्थिति पर कोई भी चुनौती सीधे तौर पर अमेरिकी अर्थव्यवस्था पर असर डाल सकती है। ट्रंप का स्पष्ट संदेश है कि वह किसी भी देश को इस तरह की चुनौती स्वीकार नहीं करने देंगे और यदि कोई इस रास्ते पर चलता है,तो उसके खिलाफ सख्त कदम उठाए जाएँगे।