नई दिल्ली,30 अप्रैल (युआईटीवी)- संयुक्त राष्ट्र के महासचिव एंटोनियो गुटेरेस ने कश्मीर के पहलगाम में हाल ही में हुए भीषण आतंकी हमले की कड़ी निंदा की है। इस आतंकी हमले ने न केवल भारत में आक्रोश की लहर दौड़ा दी,बल्कि इस घटना ने भारत और पाकिस्तान के बीच पहले से ही तनावपूर्ण रिश्तों को और अधिक जटिल बना दिया है। इस हमले में 25 भारतीय नागरिकों और एक नेपाली यात्री की मौत हुई। घटना के तुरंत बाद राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर तीव्र प्रतिक्रियाएँ सामने आईं। भारत ने जहाँ सख्त कदम उठाए हैं,वहीं पाकिस्तान ने खुद पर लगे आरोपों को सिरे से नकारते हुए निष्पक्ष जाँच की माँग की है। इस पूरे घटनाक्रम के बीच संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंटोनियो गुटेरेस की सक्रियता ने इस तनाव में एक नया आयाम जोड़ दिया है।
संयुक्त राष्ट्र के महासचिव एंटोनियो गुटेरेस ने भारत के विदेश मंत्री एस. जयशंकर और पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ से अलग-अलग फोन पर बातचीत की और पहलगाम हमले की कड़ी निंदा की। संयुक्त राष्ट्र द्वारा जारी आधिकारिक बयान में कहा गया है कि महासचिव ने हमले के लिए न्याय और जवाबदेही सुनिश्चित करने के वैध तरीकों पर जोर दिया। उन्होंने भारत और पाकिस्तान के बीच बढ़ते तनाव को लेकर गंभीर चिंता व्यक्त की और टकराव से बचने की आवश्यकता पर बल दिया। गुटेरेस ने यह भी कहा कि वे तनाव कम करने के लिए अपने ‘गुड ऑफिस’ यानी मध्यस्थता की सेवाएँ देने के लिए तैयार हैं।
Received a call from @UN SG @antonioguterres.
Appreciate his unequivocal condemnation of the terrorist attack in Pahalgam. Agreed on the importance of accountability.
India is resolved that the perpetrators, planners and backers of this attack are brought to justice.
— Dr. S. Jaishankar (@DrSJaishankar) April 29, 2025
विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स (पूर्व ट्विटर) पर अपनी प्रतिक्रिया में लिखा, “संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंटोनियो गुटेरेस का फोन आया। पहलगाम में आतंकवादी हमले की उनकी स्पष्ट निंदा की सराहना करता हूँ। जवाबदेही के महत्व पर सहमत हुए। भारत का संकल्प है कि इस हमले के अपराधियों,योजनाकारों और समर्थकों को न्याय के कटघरे में लाया जाएगा।”
पहलगाम आतंकवादी हमले के लिए भारत ने सीधा पाकिस्तान को जिम्मेदार ठहराया है और इसे सीमा पार आतंकवाद का उदाहरण बताया है। इसके जवाब में भारत ने कई रणनीतिक और कूटनीतिक कदम उठाए हैं।
Had a telephone conversation with UN Secretary-General @antonioguterres this evening. I reaffirmed Pakistan’s condemnation of terrorism in all its forms, rejected baseless Indian accusations, and called for a transparent and neutral investigation into the Pahalgam incident. I…
— Shehbaz Sharif (@CMShehbaz) April 29, 2025
पाकिस्तानी प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ ने भी सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर एक पोस्ट में गुटेरेस से हुई अपनी बातचीत की जानकारी दी। उन्होंने लिखा, “मैंने आतंकवाद के सभी रूपों की पाकिस्तान की निंदा की पुष्टि की,आधारहीन भारतीय आरोपों को खारिज कर दिया और पहलगाम घटना की पारदर्शी और निष्पक्ष जाँच का आह्वान किया…पाकिस्तान शांति के लिए प्रतिबद्ध है,लेकिन चुनौती मिलने पर पूरी ताकत से अपनी संप्रभुता की रक्षा करेगा।”
इस बयान से स्पष्ट है कि पाकिस्तान,भारत के आरोपों को नकारते हुए उल्टे जाँच की माँग कर रहा है और स्वयं को एक जिम्मेदार देश के रूप में प्रस्तुत करने की कोशिश कर रहा है।
हमले के बाद 29 अप्रैल को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने राष्ट्रीय सुरक्षा पर एक महत्वपूर्ण बैठक बुलाई। इस बैठक में रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह,चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ जनरल अनिल चौहान, तीनों सेनाओं के प्रमुख और राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल मौजूद थे।
इस बैठक में प्रधानमंत्री मोदी ने दो बातें स्पष्ट कीं,पहली बात आतंकवाद पर भारत का रुख बेहद सख्त और अविचलनीय है और दूसरी भारतीय सशस्त्र बलों को फ्री हैंड (पूर्ण स्वतंत्रता) दी गई है कि वे प्रतिक्रिया देने के तरीके,स्थान और समय पर स्वयं निर्णय लें।
इससे यह संकेत मिलते हैं कि भारत आगे आने वाले दिनों में कड़ा और निर्णायक सैन्य प्रतिक्रिया ले सकता है।
भारत ने कूटनीतिक स्तर पर भी पाकिस्तान के खिलाफ कड़े फैसले लिए हैं,जिसके अंतर्गत भारत ने सिंधु जल संधि को अस्थायी रूप से स्थगित कर दिया है। यह वही संधि है,जो 1960 में भारत और पाकिस्तान के बीच हस्ताक्षरित हुई थी और सिंधु नदी जल बँटवारे का आधार मानी जाती है। भारत ने साफ किया कि जब तक पाकिस्तान सीमा पार आतंकवाद के समर्थन को विश्वसनीय और स्थायी रूप से समाप्त नहीं करता,तब तक संधि पर पुनर्विचार नहीं होगा।
अटारी बॉर्डर को बंद कर दिया गया है, जिससे भारत-पाकिस्तान के बीच सीमावर्ती आवाजाही रोक दी गई है। भारत में रह रहे पाकिस्तानी नागरिकों को वापस भेजने की प्रक्रिया शुरू कर दी गई है। भारत द्वारा उठाए ये कदम पाकिस्तान पर राजनयिक,आर्थिक और सामाजिक दबाव बनाने की रणनीति का हिस्सा हैं।
संयुक्त राष्ट्र महासचिव की यह पहल उस समय आई है,जब भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव किसी भी मोड़ पर सीमित संघर्ष या सैन्य कार्रवाई में तब्दील हो सकता है। गुटेरेस ने यह साफ कर दिया है कि संयुक्त राष्ट्र ऐसे किसी भी टकराव को टालने के लिए प्रतिबद्ध है और वह मध्यस्थता करने के लिए तैयार है। हालाँकि, भारत ऐतिहासिक रूप से कश्मीर मामले में किसी तीसरे पक्ष की मध्यस्थता को अस्वीकार करता रहा है।
पहलगाम आतंकी हमला एक बार फिर भारत-पाक संबंधों को युद्ध जैसे तनाव की ओर ले गया है। भारत ने जहाँ सैन्य और कूटनीतिक दोनों मोर्चों पर आक्रामक रणनीति अपनाई है,वहीं पाकिस्तान खुद को पीड़ित के रूप में पेश करने की कोशिश कर रहा है। संयुक्त राष्ट्र महासचिव की एंट्री इस विवाद को अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर एक नई बहस में बदल रही है।
ऐसे में आने वाले दिन बेहद निर्णायक और संवेदनशील होंगे। भारत की ओर से फौजी कार्रवाई हो सकती है,वहीं पाकिस्तान की ओर से राजनयिक प्रतिक्रिया और अंतर्राष्ट्रीय दबाव बढ़ाने की कोशिशें तेज हो सकती हैं।
इस घटनाक्रम पर पूरी दुनिया की नजर है और संयुक्त राष्ट्र की सक्रियता यह दर्शाती है कि यह मुद्दा सिर्फ दक्षिण एशिया तक सीमित नहीं रहा,बल्कि यह वैश्विक स्थिरता और आतंकवाद के खिलाफ अंतर्राष्ट्रीय प्रतिबद्धता का हिस्सा बन गया है।