नई दिल्ली,27 दिसंबर (युआईटीवी)- अमेरिकी विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन और ब्राजील के राष्ट्रपति लूला दा सिल्वा ने पूर्व प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह के निधन पर श्रद्धांजलि अर्पित की है और उनकी भूमिका व योगदान को याद किया है। पूर्व प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह के निधन पर दुनियाभर से शोक संवेदनाएं व्यक्त की जा रही हैं। ब्लिंकन ने उनके आर्थिक सुधारों को याद किया,तो वहीं ब्राजील के राष्ट्रपति दा सिल्वा ने आईबीएसए के निर्माण में उनकी भूमिका को याद किया।
अमेरिकी विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन ने एक बयान जारी कर कहा कि,पूर्व प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह के निधन पर संयुक्त राज्य अमेरिका अपनी संवेदना व्यक्त करता है। डॉ. सिंह अमेरिका-भारत रणनीतिक साझेदारी के सबसे बड़े समर्थकों में से एक थे और उनके काम ने पिछले दो दशकों में हमारे देशों द्वारा एक साथ मिलकर हासिल की गई अधिकांश उपलब्धियों की नींव रखी।
ब्लिंकन ने डॉ. मनमोहन सिंह के नेतृत्व में अमेरिका-भारत असैन्य परमाणु सहयोग समझौते को बढ़ावा देने को भी याद किया,जिसे उन्होंने अमेरिका-भारत रिश्तों के लिए एक महत्वपूर्ण कदम माना। इस समझौते के माध्यम से भारत और अमेरिका के बीच के रिश्तों को नई दिशा और नई पहचान मिली,जो दोनों देशों के बीच के बढ़ती साझेदारी को प्रदर्शित करता है।
इसके अलावा, उन्होंने डॉ. सिंह के आर्थिक सुधारों का भी उल्लेख किया,जिन्हें भारतीय अर्थव्यवस्था के तेज़ी से विकास को प्रोत्साहित करने के रूप में देखा गया। ब्लिंकन ने कहा कि, डॉ. सिंह को स्वदेश में उनके आर्थिक सुधारों के लिए याद किया जाएगा। भारत के तेज़ आर्थिक विकास को डॉ. सिंह के आर्थिक सुधारों ने बढ़ावा दिया। डॉ. सिंह के निधन पर हम शोक व्यक्त करते हैं और उन्होंने अमेरिका व भारत को एक साथ लाने के लिए जो समर्पण किया है,उसे भी हम हमेशा याद रखेंगे।
डॉ. मनमोहन सिंह के निधन पर ब्राजील के राष्ट्रपति लूला दा सिल्वा ने भी गहरी शोक संवेदनाएँ व्यक्त कीं। उन्होंने आईबीएसए (भारत, ब्राजील, दक्षिण अफ्रीका) के निर्माण में डॉ. सिंह की भूमिका को याद किया।
लूला दा सिल्वा ने कहा कि, “मेरे मित्र,भारत के पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के निधन पर मेरी संवेदनाएँ। 21वीं सदी के पहले दशक में हमने अपने देशों के बीच संबंध बढ़ाने और एक न्यायपूर्ण दुनिया बनाने के लिए मिलकर काम किया। डॉ. मनमोहन सिंह ने आईबीएसए के निर्माण – ब्राजील, दक्षिण अफ्रीका और भारत को एक साथ लाने और ब्रिक्स की स्थापना में हिस्सा लिया।
आगे उन्होंने कहा कि जब साल 2012 में वह राष्ट्रपति नहीं थे,तब नई दिल्ली में उन्हें डॉ. मनमोहन सिंह से मुलाकात करने का अवसर मिला था और उन्होंने उस दौरान विकास,गरीबी,भूख से निपटने तथा ग्लोबल साउथ में सहयोग के बारे में कई अहम चर्चा की थी। लूला ने कहा कि भारत के लोगों,उनके परिवार,दोस्तों और मनमोहन सिंह के साथियों के प्रति वह अपनी सहानुभूति व्यक्त करते हैं।
डॉ. मनमोहन सिंह का जन्म 26 सितंबर 1932 को पाकिस्तान के गाह गाँव में हुआ था,जो अब पाकिस्तान का हिस्सा है। उनके पिता का नाम गुरमुख सिंह और माँ का नाम अमृत कौर था। उनका शिक्षा जीवन भी बहुत प्रेरणादायक था। उन्होंने अपनी प्रारंभिक शिक्षा पंजाब विश्वविद्यालय से प्राप्त की और बाद में ब्रिटेन के कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय से अर्थशास्त्र में ऑनर्स की डिग्री हासिल की। इसके बाद,उन्होंने ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय से अर्थशास्त्र में डी.फिल किया।
मनमोहन सिंह ने 1958 में गुरशरण कौर से शादी की थी और उनके तीन बेटियाँ उपिंदर सिंह,दमन सिंह और अमृत सिंह हैं।
डॉ. मनमोहन सिंह का करियर बहुत ही प्रभावशाली और समर्पित था। 1971 में उन्होंने भारतीय वाणिज्य मंत्रालय में आर्थिक सलाहकार के रूप में कार्य शुरू किया। इसके बाद,1972 में उन्हें वित्त मंत्रालय में मुख्य आर्थिक सलाहकार के रूप में नियुक्त किया गया। उन्होंने भारतीय रिजर्व बैंक के अध्यक्ष,योजना आयोग के उपाध्यक्ष और प्रधानमंत्री के सलाहकार के रूप में भी महत्वपूर्ण भूमिकाएँ निभाईं।
1991 में, डॉ. सिंह ने भारत के वित्त मंत्री के रूप में कार्यभार संभाला। इस समय भारत में आर्थिक सुधारों की शुरुआत हुई,जो देश के लिए ऐतिहासिक बदलाव लाए। डॉ. सिंह ने भारतीय अर्थव्यवस्था को वैश्विक अर्थव्यवस्था से जोड़ने के लिए कई अहम कदम उठाए। उन्होंने निजीकरण,उदारीकरण और वैश्वीकरण की दिशा में काम किया,जिससे भारतीय अर्थव्यवस्था तेज़ी से विकसित हुई। उनका योगदान भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए अनमोल था और उनकी नीतियाँ आज भी महत्वपूर्ण मानी जाती हैं।
डॉ. मनमोहन सिंह ने 2004 में भारत के 14वें प्रधानमंत्री के रूप में शपथ ली। उनके नेतृत्व में यूपीए सरकार ने देश की राजनीति और आर्थिक धारा को नए आयाम दिए। उन्होंने 2009 में फिर से प्रधानमंत्री पद की शपथ ली और दूसरे कार्यकाल में भी उन्होंने कई महत्वपूर्ण कदम उठाए,जैसे राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना (नरेगा) और स्वास्थ्य क्षेत्र में सुधार।
उनके प्रधानमंत्री बनने के बाद भारत ने कई वैश्विक संकटों का सामना किया,जिसमें 2008 का वित्तीय संकट भी शामिल है और उन्होंने अपने नेतृत्व से भारत को मजबूती दी। उनकी नीतियों ने न केवल भारतीय अर्थव्यवस्था को बल दिया,बल्कि भारत की वैश्विक भूमिका को भी सशक्त किया।
पूर्व प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह का निधन भारतीय राजनीति और वैश्विक राजनीति के लिए एक बड़ी क्षति है। उनके योगदान को न केवल भारत,बल्कि पूरी दुनिया में सराहा गया। उनके आर्थिक सुधारों,नेतृत्व और अंतर्राष्ट्रीय मंचों पर उनके योगदान को हमेशा याद किया जाएगा। उनके निधन पर अमेरिकी और ब्राजील के नेताओं ने अपनी संवेदनाएँ व्यक्त की हैं,जो उनके वैश्विक प्रभाव और योगदान का प्रमाण हैं। डॉ. सिंह का जीवन एक प्रेरणा था और उनका काम हमेशा भारतीय राजनीति और अर्थव्यवस्था में महत्वपूर्ण स्थान बनाए रखेगा।