Pindari Glacier of Uttarakhand gave a danger signal, a signal of great danger.

उत्तराखंड के पिंडारी ग्लेशियर ने दिया खतरे का सिग्नल, अलर्ट पर प्रशासन

बागेश्वर, 25 अक्टूबर (युआईटीवी/आईएएनएस)| प्रदेश के उच्च हिमालयी क्षेत्रों से लगातार खतरे के संकेत मिल रहे हैं। बीते दिनों केदारनाथ में एवलांच की कई घटनाएं देखने को मिलीं। फिर उत्तरकाशी के द्रौपदी का डांडा में हिमस्खलन की घटना हो गई, जिसमें कई पर्वतारोहियों ने अपनी जान गंवा दी। ग्लोबल वॉमिर्ंग के चलते ग्लेशियर पिघल रहे हैं और इससे न सिर्फ हादसे हो रहे हैं, बल्कि हमारे बुग्यालों को भी नुकसान पहुंच रहा है। ग्लेशियर का हिमक्षेत्र कम होता जा रहा है, जिसका असर बुग्यालों पर भी पड़ रहा है। इस बीच एक चिंता बढ़ाने वाली खबर बागेश्वर से आई है। जहां मशहूर पिंडारी ग्लेशियर पिछले 40 वर्षों में करीब 700 मीटर पीछे खिसक गया है। पिंडारी यात्रा मार्ग पर पड़ने वाले बुग्यालों में भी लगातार भूस्खलन हो रहा है।

पर्यावरणविदों ने इस पर चिंता जाहिर की है। वॉडिया इंस्टीट्यूट ऑफ हिमालयन जियोलॉजी, देहरादून से सेवानिवृत्त सीनियर हिम वैज्ञानिक डॉ. डीपी डोभाल के मुताबिक दूसरे ग्लेशियर की तरह पिंडारी ग्लेशियर भी पीछे जा रहा है।

इसकी वजह मौसम में आया बदलाव, ग्रीष्म ऋतु का समय बढ़ना और बर्फबारी में कमी है। पिंडारी ग्लेशियर सीधे पहाड़ पर है, ऐसे में यहां गिरने वाली बर्फ रुकती कम है। हिमालयन माउंटेनियर्स क्लब के सचिव आलोक साह गंगोला के मुताबिक गैस, बिजली, वाहन जैसे कारकों के चलते ग्लेशियरों को नुकसान पहुंच रहा है। विकास की दौड़ में ये तीन कारक प्रमुख स्थान रखते हैं, तो यही तीन कारक ग्लेशियरों के नुकसान में भी अहम भूमिका निभा रहे हैं। पिंडारी ग्लेशियर यात्रा मार्ग में पड़ने वाले बुग्यालों में पिछले कुछ सालों में भूस्खलन तेजी से बढ़ा है। जहां कभी हरी मखमली घास नजर आती थी वहां अब रोखड़ दिखते हैं। बुग्यालों में भूस्खलन की घटनाएं बढ़ी हैं, जो कि भविष्य के लिए बड़े खतरे का संकेत है।

बागेश्वर के डीएफओ हिमांशु बागरी ने कहा कि वन विभाग की टीम के साथ क्षेत्र का मुआयना कर रिपोर्ट तैयार की गई है। रिपोर्ट के आधार पर बुग्याल संरक्षण का प्रस्ताव बनाकर शासन को भेजा जाएगा। पिंडारी ग्लेशियर यात्रा मार्ग में बुग्यालों में बढ़ रहा भूस्खलन चिंताजनक है।

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