विशाखापत्तनम,18 जनवरी (युआईटीवी)- केंद्र सरकार ने आंध्र प्रदेश के विशाखापत्तनम स्टील प्लांट के के पुनरुद्धार के लिए 11,440 करोड़ रुपये के वित्तीय पैकेज की घोषणा की है। इस योजना में 10,300 करोड़ रुपये की इक्विटी सहायता देने का निर्णय लिया है,जिससे यह प्लांट आर्थिक रूप से मजबूत हो सके और आत्मनिर्भर भारत की दिशा में एक कदम और बढ़ सके। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस निर्णय को आत्मनिर्भर भारत के निर्माण में मददगार बताया है और इसे एक सकारात्मक कदम के रूप में देखा है। यह सहायता विशाखापत्तनम स्टील प्लांट के संचालन और उसके जीर्णोद्धार के लिए दी जा रही है,जिसे राष्ट्रीय इस्पात निगम लिमिटेड (आरआईएनएल) संचालित करता है।
प्रधानमंत्री मोदी ने इस निर्णय को लेकर सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर एक पोस्ट किया,जिसमें उन्होंने कहा कि विशाखापत्तनम स्टील प्लांट का आंध्र प्रदेश के लोगों के दिल और दिमाग में एक खास स्थान है। उन्होंने बताया कि पिछले गुरुवार को हुई कैबिनेट बैठक में यह निर्णय लिया गया कि 10,000 करोड़ रुपये से अधिक की इक्विटी सहायता प्लांट को दी जाएगी,जिससे आत्मनिर्भर भारत की दिशा में कदम उठाया जा सके। प्रधानमंत्री ने यह भी कहा कि स्टील सेक्टर की अहमियत को समझते हुए यह कदम उठाया गया है।
प्रधानमंत्री मोदी के इस बयान से यह स्पष्ट होता है कि सरकार स्टील सेक्टर को आत्मनिर्भर भारत के निर्माण में महत्वपूर्ण मानती है और इसके लिए आर्थिक सहायता देने का यह कदम उठाया गया है। यह न केवल स्टील उद्योग को पुनर्जीवित करने की दिशा में एक बड़ा कदम है,बल्कि इसके माध्यम से आंध्र प्रदेश के विशाखापत्तनम क्षेत्र की आर्थिक स्थिति में भी सुधार की उम्मीद जताई जा रही है।
The Visakhapatnam Steel Plant has a special place in the hearts and minds of the people of Andhra Pradesh. During yesterday’s Cabinet meeting, it was decided to provide equity support of over Rs. 10,000 crore for the plant. This has been done understanding the importance of the…
— Narendra Modi (@narendramodi) January 17, 2025
केंद्र सरकार की आर्थिक मामलों की समिति (सीसीईए) ने 11,440 करोड़ रुपये की योजना को मंजूरी दी है,जिसमें से 10,300 करोड़ रुपये का हिस्सा इक्विटी कैपिटल के रूप में दिया जाएगा। इसके अलावा 1,140 करोड़ रुपये का वर्किंग कैपिटल लोन सात प्रतिशत ब्याज दर पर नॉन कम्युटेटिव प्रिफरेंस शेयर कैपिटल के रूप में दिया जाएगा,जिसे 10 साल बाद भुनाया जा सकेगा। इस सहायता के माध्यम से सरकार का उद्देश्य आरआईएनएल की वित्तीय स्थिति को सुधारना और विशाखापत्तनम स्टील प्लांट के कार्य संचालन को सुचारु बनाना है।
राष्ट्रीय इस्पात निगम लिमिटेड (आरआईएनएल) की पूरी हिस्सेदारी भारत सरकार के पास है और यह विशाखापत्तनम स्टील प्लांट का संचालन करता है। वर्तमान में इस प्लांट की सालाना उत्पादन क्षमता 73 लाख टन लिक्विड स्टील है,लेकिन कंपनी की आर्थिक स्थिति बहुत खराब है। पिछले साल 31 मार्च को आरआईएनएल का नेटवर्थ माइनस 4.538 करोड़ रुपये था और उसकी कुल देनदारी 26,114.92 करोड़ रुपये थी। कंपनी का ऋण बैंक से उधारी लेने की सीमा तक पहुँच चुका है और वह पूँजीगत ऋण के भुगतान में भी चूक कर चुकी है।
केंद्र सरकार की इस नई इक्विटी सहायता से उम्मीद की जा रही है कि आरआईएनएल अपनी वित्तीय स्थिति को सुधारने में सक्षम होगा और विशाखापत्तनम स्टील प्लांट का संचालन फिर से सुचारु रूप से शुरू हो सकेगा। इस सहायता का उद्देश्य कंपनी के कार्यों में स्थिरता लाना और उसे एक नई दिशा देना है,ताकि वह आत्मनिर्भर भारत की ओर बढ़ सके।
विशाखापत्तनम स्टील प्लांट के कर्मचारियों के लिए यह एक राहत भरी खबर है, क्योंकि पिछले तीन साल से वे निजीकरण के खिलाफ विरोध कर रहे थे। उनका यह विरोध-प्रदर्शन केंद्र सरकार की निजीकरण नीति के खिलाफ था और वे चाहते थे कि इस प्लांट का निजीकरण न किया जाए। कर्मचारियों के विरोध को देखते हुए, भारतीय मजदूर संघ (बीएमएस) के प्रतिनिधि दल ने इस साल 8 जनवरी को भारी उद्योग एवं इस्पात मंत्री एच.डी. कुमारस्वामी से मुलाकात की थी और विशाखापत्तनम स्टील प्लांट को पुनर्जीवित करने की अपील की थी। इस मुलाकात के बाद मंत्री ने आश्वासन दिया था कि इस प्लांट का निजीकरण नहीं किया जाएगा और इस मुद्दे को सुलझाने के लिए जरूरी कदम उठाए जाएँगे।
यह कदम केंद्र सरकार की नीति के तहत सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनियों को बचाने और उन्हें मजबूत बनाने की दिशा में उठाया गया है। बीसीसीआई और सरकार दोनों का मानना है कि यदि इस प्लांट को ठीक से संचालन में लाया जाता है,तो इससे न केवल विशाखापत्तनम क्षेत्र की आर्थिक स्थिति में सुधार होगा,बल्कि पूरे देश की स्टील उत्पादन क्षमता में भी वृद्धि होगी।
केंद्र सरकार की यह सहायता,विशेष रूप से वित्तीय संकट का सामना कर रही इस्पात कंपनी के लिए, बहुत महत्वपूर्ण साबित हो सकती है। यह निर्णय न केवल आंध्र प्रदेश की अर्थव्यवस्था को पुनर्जीवित करने की दिशा में है,बल्कि यह सरकार की स्टील सेक्टर के प्रति प्रतिबद्धता को भी दर्शाता है। इसके अलावा, विशाखापत्तनम स्टील प्लांट के कर्मचारियों और स्थानीय समुदायों के लिए भी यह एक सकारात्मक बदलाव हो सकता है,क्योंकि यह स्थिरता और रोजगार की संभावनाओं को बढ़ाएगा।
केंद्र सरकार का यह निर्णय विशाखापत्तनम स्टील प्लांट के लिए एक महत्वपूर्ण कदम है,जिसे आत्मनिर्भर भारत की दिशा में एक नई शुरुआत माना जा सकता है।