कोचि, 25 मई (युआईटीवी/आईएएनएस)- लक्षद्वीप में उसके प्रशासक प्रफुल्ल पटेल के नेतृत्व में हो रही घटनाओं को लेकर केरल में कांग्रेस के नेतृत्व वाले यूडीएफ और सत्तारूढ़ माकपा के नेतृत्व वाले वाम दलों के साथ केरल उच्च न्यायालय ने भी मंगलवार को वहां हो रही घटनाओं को लेकर उसकी आलोचना की है। जस्टिस विनोद चंद्रन ने एक जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए कहा कि उन्हें पता है कि वहां क्या हो रहा है और इसके लिए उन्हें सोशल मीडिया या मीडिया रिपोर्ट्स पर भरोसा करने की जरूरत नहीं है, बल्कि उनके पास चीजों को जानने का अपना तरीका है।
अदालत ने याचिका पर सुनवाई के बाद दो सहायक लोक अभियोजकों के दो द्वीपों से कावारती में स्थानांतरण पर रोक लगा दी और प्रशासक से यह बताने को कहा कि दोनों का तबादला क्यों किया गया और उन्हें सरकारी सेवा में लौटने के लिए कहा गया।
उच्च न्यायालय ने लक्षद्वीप के उप न्यायाधीश से इसका विवरण मांगा और इस रिपोर्ट को पढ़ने के बाद अदालत ने स्थानांतरण पर रोक लगा दी।
पिछले कुछ दिनों से केरल में भाजपा को छोड़कर सभी शीर्ष राजनीतिक दल गुजरात के पूर्व गृह मंत्री प्रफुल्ल पटेल के शासन में होने वाली घटनाओं के प्रति विरोध जताया है।
मंगलवार को दो बार के पूर्व मुख्यमंत्री ओमन चांडी ने कहा कि पटेल के आने से लक्षद्वीप में हमेशा से जो शांति रही है, वह खत्म हो गई है।
चांडी ने कहा ” पूरा प्रशासन एक आईएएस अधिकारी द्वारा किया गया था और पटेल के आने के साथ चीजें बदतर हो गईं। द्वीप जैसी जगह पर गुंडा अधिनियम की शुरूआत हो गई है जहां अपराध दर अपेक्षाकृत कम है। लोगों को परेशान कर रहे है उन लोगों के खिलाफ कार्रवाई करवा रहे है जिन्होंने सीएए और एनआरसी के दौरान विरोध किया था। साथ ही जिस तरह से वहां क्वारंटाइन नियम लागू किए गए थे, उससे भी कोविड फैल गया था। ”
इस बीच केरल विधानसभा में विपक्ष के नए नेता वी.डी. सतीसन ने मंगलवार को केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह को पत्र लिखकर मांग की कि पटेल को वापस बुलाया जाए क्योंकि उनके कृत्यों ने द्वीपवासियों को बुरी तरह प्रभावित किया है।