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फरवरी में 2025 थोक महँगाई दर में हुई वृद्धि,2.38 प्रतिशत पर पहुँची

नई दिल्ली,18 मार्च (युआईटीवी)- फरवरी 2025 में थोक मूल्य मुद्रास्फीति (डब्ल्यूपीआई) में मामूली वृद्धि दर्ज की गई है,यह वृद्धि 2.38 प्रतिशत हो गई। यह आँकड़ा सोमवार को जारी किए गए सरकारी आँकड़ों से सामने आया है। सरकार के अनुसार,इस वृद्धि का मुख्य कारण सब्जियाँ,तेल और पेय पदार्थ जैसे विनिर्मित खाद्य उत्पादों के महँगे होने के कारण था। फरवरी में यह मुद्रास्फीति जनवरी के मुकाबले थोड़ी बढ़ी,क्योंकि जनवरी में यह 2.31 प्रतिशत थी,जबकि फरवरी 2024 में यह केवल 0.2 प्रतिशत थी। वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय द्वारा जारी बयान के अनुसार, फरवरी 2025 में मुद्रास्फीति की सकारात्मक दर का कारण मुख्य रूप से खाद्य उत्पादों,अन्य विनिर्माण वस्तुओं,गैर-खाद्य वस्तुओं और वस्त्र निर्माण जैसी श्रेणियों में वृद्धि था।

विनिर्मित खाद्य उत्पादों में मुद्रास्फीति में 11.06 प्रतिशत का वृद्धि हुआ,जबकि वनस्पति तेल के कीमतों में 33.59 प्रतिशत का जबरदस्त वृद्धि दर्ज किया गया। पेय पदार्थों की कीमतों में भी मामूली वृद्धि हुई और यह 1.66 प्रतिशत तक पहुँच गई। हालाँकि,सब्जियों की कीमतों में थोड़ी नरमी आई। आलू की कीमतें फरवरी में 74.28 प्रतिशत से घटकर 27.54 प्रतिशत हो गईं,जो इस श्रेणी में काफी राहत देने वाली खबर थी। ईंधन और बिजली श्रेणी में भी फरवरी के महीने में 0.71 प्रतिशत की अपस्फीति देखी गई,जबकि जनवरी में यह 2.78 प्रतिशत थी।

दूसरी तरफ,खुदरा मुद्रास्फीति के आँकड़ों से यह पता चला कि फरवरी के महीने में खाद्य वस्तुओं की कीमतों में नरमी आई,जिससे उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (सीपीआई) आधारित मुद्रास्फीति 7 महीने के निचले स्तर 3.61 प्रतिशत पर आ गई। यह आँकड़ा भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के संतोषजनक स्तर 4 प्रतिशत से भी नीचे है,जो एक सकारात्मक संकेत है। फरवरी के महीने में खाद्य वस्तुओं के दाम में नरमी ने खुदरा महँगाई को काफी हद तक कम किया। यह भी स्पष्ट है कि मुद्रास्फीति के गिरते आँकड़े भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए राहत का कारण बने हैं।

इसके अलावा,विनिर्माण क्षेत्र में बेहतर प्रदर्शन से औद्योगिक उत्पादन सूचकांक (आईआईपी) में 5 प्रतिशत का इजाफा हुआ,जो अर्थव्यवस्था की मजबूती का संकेत है। मुद्रास्फीति में इस गिरावट के साथ यह संभावना भी बढ़ गई है कि भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) अपनी आगामी द्विमासिक मौद्रिक नीति समीक्षा 9 अप्रैल को नीतिगत दर में एक और कटौती कर सकता है। यदि आरबीआई नीतिगत दर में कटौती करता है,तो इसका उद्देश्य आर्थिक विकास को प्रोत्साहित करना और मुद्रास्फीति को नियंत्रित करना होगा।

फरवरी में कई कारणों से थोक मूल्य मुद्रास्फीति में यह मामूली वृद्धि हुई,जिनमें खाद्य पदार्थों की कीमतों में इजाफा प्रमुख था। हालाँकि,सब्जियों और ईंधन की श्रेणियों में कुछ राहत मिलने से समग्र मुद्रास्फीति पर असर पड़ा। सरकार और भारतीय रिजर्व बैंक के लिए यह आँकड़े महत्वपूर्ण हैं,क्योंकि ये निर्णय लेने में मदद करते हैं,खासकर रूप से मौद्रिक नीति को लेकर।

निरंतर घटती खुदरा मुद्रास्फीति और विनिर्माण क्षेत्र का बेहतर प्रदर्शन भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए सकारात्मक संकेत हैं। यह सरकार और आरबीआई के लिए एक मौका है कि वे भविष्य में आर्थिक नीति को और सख्त करने के बजाय,विकास को बढ़ावा देने के लिए कदम उठाएँ। इससे उम्मीद जताई जा रही है कि भारतीय रिजर्व बैंक आने वाली बैठक में ब्याज दरों में कटौती कर सकता है,जिससे ऋण की लागत घटेगी और निवेश में वृद्धि होगी।